केळकर, अशोक रा. |
भाषा आणि जीवन |
संपादकीय |
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
१ |
बेलवलकर, सुमन |
परभाषीयांना मराठी साहित्य शिकवताना येणारे अनुभव |
|
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
२ |
विमल, श्याम |
तीन कविता |
|
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
८ |
काळे, कल्याण |
गंगंकडं अन राकिसाकडं |
भाषानिरीक्षण |
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
११ |
पुंडे दत्तात्रय दिनकर |
वि. वा. शिरवाडकरांचा भाषाविचार |
विचारसंकलन |
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
१२ |
बेडेकर, विश्राम |
वेषभाषा |
|
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
२२ |
बेडेकर, दि. के. |
भाषाप्रभुत्व |
पुनर्भेट |
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
२३ |
भांबुरे, अच्युत रामचंद्र |
भाषेचा अडसर |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
२६ |
भागवत, गीता सुभाष |
सरकारी नियमांचा मराठी अनुवाद |
|
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
२७ |
|
व्युत्पत्ती हव्या आहेत |
शंका आणि समाधान |
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
२९ |
परांजपे, प्र. ना. |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
|
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
३० |
|
मराठी-अभ्यास-परिषदेची स्थापना |
परिषद-वार्ता |
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
३१ |
|
अनुक्रम |
|
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
|
|
|
|
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
|
|
|
|
१ |
१ |
जुलै |
१९८३ |
|
केळकर, अशोक रा. |
जिती जागती वाट पाहणारी |
संपादकीय |
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
१ |
ब्रोकर, गुलाबदास |
मराठी भाषा अने मराठीभाषको साथेनी मारी मैत्री |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
२ |
|
बदनाम पदनाम |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
११ |
माने, लक्ष्मण |
किलकिला दरवाजा |
दखलपात्र |
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
१२ |
माने, वसुधा |
संज्ञापन आणि लोकशाही |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
१३ |
परांजपे, प्र. ना. |
मुलाखत : एक घेणे |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
१५ |
|
सांगावा पुरस्कार |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
२० |
देशपांडे, डी. व्ही. |
कनिष्ठ न्यायालयातील भाषांतर |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
२१ |
सारंग, कमलाकर |
वाचालं करोति मूकं... |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
२४ |
सामंत, सत्त्वशीला |
सरकारी नियमांचा मराठी अनुवाद : एक प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद |
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
२५ |
|
इंग्रजीत रे कशाला बोलतोस! |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
२६ |
|
काम चालू, रस्ता अजूनही बंद |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
२६ |
सोनी, रामगोपाल |
मराठी आडनावे |
भाषानिरीक्षण |
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
२७ |
|
देशाचे देणे |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
३२ |
जोशी, श्री. बा. |
बंगी |
शंका आणि समाधान |
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
३३ |
धोंगडे, रमेश वा. |
वैखरी : सकस वैचारिक लेखन |
पुस्तकपरीक्षण |
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
३५ |
|
घटत्या फळाचा सिद्धांत आणि टेलिफोन |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
३८ |
|
चुकीची दुरुस्ती |
सूचना-फलक |
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
३९ |
|
अनुक्रम |
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
|
|
|
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
|
|
|
|
१ |
२ |
ऑक्टो. |
१९८३ |
|
केळकर, अशोक रा. |
विचारांची सरणी आणि संज्ञापनाची मांडणी |
संपादकीय |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
१ |
बर्नसन, मॅक्सीन |
जीव घाबरा करणारी भाषा |
सहज |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
३ |
चिटणीस, विजया |
शालेय मराठी आणि झोपडपट्टी - एका पाहणीचा अनौपचारिक अहवाल |
|
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
७ |
|
पहिला धडा |
दखलपात्र |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
३१ |
दोदे, आल्फोंज |
शेवटचा तास |
दखलपात्र |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
३२ |
चंद्रचूड, य. वि. |
कनिष्ठ न्यायालयातील भाषांतर : विचारार्ह सूचना |
साद आणि प्रतिसाद |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
३८ |
भागवत, गीता सुभाष |
सरकारी नियमांचा मराठी अनुवाद : पडताळा पाहू (भाग दोन) |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
३९ |
बहुलकर, श्रीकांत |
महाराष्ट्रातील संस्कृतविषयक धोरण |
भाषा-वार्ता |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
४१ |
बडवे, नीती |
परदेशी भाषा शिकण्याबद्दल थोडेसे |
परिषद-वार्ता |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
४६ |
|
एका उद्योगाची भरभराट |
|
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
५१ |
मुंडले, आशा |
अगत्याचा विषय, सुबोध पण डोळस मांडणी |
पुस्तकपरीक्षण |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
५२ |
परांजपे, प्र. ना. |
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
५४ |
|
१. चुकीची दुरुस्ती, २. लेखकांसाठी सूचना |
सूचना-फलक |
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
५५ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
|
|
अनुक्रम |
|
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
|
|
|
|
२ |
१ |
हिवाळा |
१९८४ |
|
सोमण, अंजली |
भाषेतला लिंगभेद, पण जरा निराळा |
संपादकीय |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
१ |
केतकर, श्री. व्यं. |
चावटपणा, संस्कृत, आणि स्त्रिया |
|
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
३ |
केळकर, अशोक रा. |
लेखन, मुद्रण आणि मानवी संज्ञापन |
|
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
४ |
सरदेसाई, संजीव |
भाषा : एक भाष्य |
दखलपात्र |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
११ |
पेलोव्स्की, ऍन |
बालवाचन आणि वाङ्मय |
दखलपात्र |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
१४ |
भाटे, गणेश सदाशिव |
मराठी भाषेची दैना : एक रोगनिदान |
दखलपात्र |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
१५ |
कुलकर्णी, द. भि. |
समीक्षकाला ओळखता येतात का? |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
१७ |
ग्रेस |
कवीची पावले कुणाला उमगावीत? |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
१७ |
प्रभू, आरती |
आणि कवीला ओळखता येतात का? |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
२२ |
साने, राजीव |
सर्वनामांचे समाजशास्त्र |
भाषानिरीक्षण |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
२४ |
निकुंब, कृ. ब. |
एकूण सर्वनामे चार |
भाषानिरीक्षण |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
२६ |
|
पहिली अक्षर-ओळख |
|
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
२७ |
संपादक |
नवी संस्था : मराठी राजभाषा विकास मंडळ |
भाषा-वार्ता |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
२९ |
संपादक |
हसावं की रडावं? |
भाषा-वार्ता |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
२९ |
देशपांडे, सुधाकर शं. |
विष्णुशास्त्री चिपळूणकरांचा भाषाविचार |
विचारसंकलन |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
३० |
काळे, कल्याण |
ग्रामीण महाविद्यालयाने घालून दिलेला आदर्श |
पुस्तकपरीक्षण |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
४३ |
बर्क, एडमंड |
पावलांची वाट ओळखीची |
|
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
४६ |
|
मृत व्यक्तीचा सन्मानपूर्वक उल्लेख |
शंका आणि समाधान |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
४७ |
|
१. चुकीची दुरुस्ती, २. लेखकांसाठी सूचना |
सूचना-फलक |
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
४८ |
|
|
|
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
४८ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
|
|
अनुक्रम |
|
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
|
|
|
|
२ |
२ |
उन्हाळा |
१९८४ |
|
काळे, कल्याण |
म्हणी, सुभाषितं आणि अवतरणं |
संपादकीय |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
१ |
सोमण, अंजली |
आपल्या भाषेचे पुढे काय होणार? |
पुनर्भेट |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
४ |
संपादक |
मराठी भाषेच्या भवितव्याबद्दल चिंता |
ग्रंथसूची |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
१८ |
एलियट, टॉमस स्टर्न्ज |
भाषायण |
धन परक्याचे |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
१९ |
एलियट, टॉमस स्टर्न्ज |
भाषायण |
धन परक्याचे |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
२० |
|
भाषेबद्दलचे चार शब्द |
|
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
२० |
सामंत, सत्त्वशीला |
श्री. के. क्षीरसागरांचा भाषाविवेक |
विचारसंकलन |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
२१ |
चाफेकर, श्री. ना. |
मराठीतील शिव्या |
भाषानिरीक्षण |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
२४ |
|
१. शिक्षणाचे माध्यम, २ एकला चलो रे |
|
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
२६ |
मुंडले, आशा |
भाषेचे प्रदूषण - स्त्रीला भोवणारे |
दखलपात्र |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
२७ |
दातार, छाया |
जातिवाचक संबोधने - स्त्रियांमधली फूटपाडणी |
दखलपात्र |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
२९ |
भागवत, गीता सुभाष |
सरकारी नियमांचा मराठी अनुवाद : पडताळा पाहू (भाग तीन) |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
३१ |
वनारसे, श्यामला |
पारंपरिक माध्यामांची एक मौखिक कैफियत |
पुस्तकपरीक्षण |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
३४ |
|
'विश्रब्ध शारदा' |
शंका आणि समाधान |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
३८ |
|
१. भेटीचा साभार स्वीकार, २. लेखकांसाठी सूचना, ३ भाषाविषयक लेखन पारितोषिकासाठी साहित्य पाठवा |
सूचना-फलक |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
३९ |
|
शिव्या द्या शिव्या |
साद आणि प्रतिसाद |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
३९ |
|
१. 'भाषा आणि जीवन' च्या पहिल्या अंकाचे प्रकाशन, २ परिसंवाद : परदेशी भाषा का शिकाव्या आणि कशा शिकाव्या?, ३. परिसंवाद : साहित्यसंमेलनात व्यक्त झालेली भाषाविषयक जाणीव, ४. परिषदेची इतर प्रकाशने, ५. महाबँक भाषाविषयक लेखन-पारितोषिक १९८३, ६. परिषदेच्या त्रैमासिक पत्रिकेचे स्वागत, ७. परिषदेचा आर्थिक अहवाल, ८. परिषदेच्या सभासदांची यादी, ९. पत्रिकेचे संस्था-ग्राहक. |
परिषद-वार्ता |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
४० |
नारळकर, नंदा |
हसूही नका रडूही नका... |
भाषा-वार्ता |
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
५१ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
|
|
अनुक्रम |
|
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
|
|
|
|
२ |
३ |
पावसाळा |
१९८४ |
|
केळकर, अशोक रा. |
कुंठित झालेली ज्ञानगंगा |
संपादकीय |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
१ |
खांबेटे, द. पां. |
बायकांची भाषा |
पुनर्भेट |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
४ |
|
|
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
१५ |
जोगळेकर, गं. ना. |
डॉ. केतकरांचे भाषाविषयक विचार |
विचारसंकलन |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
१६ |
धोंगडे, दिलीप |
प्रमाणभाषेचे अध्यापन : काही विचार |
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
२२ |
रथ, नीळकंठ |
शैक्षणिक संज्ञापनामधली एक कोंडी |
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
३२ |
बिक्सेल पीटर |
टेबल म्हणजे टेबल |
धन परक्याचे |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
३७ |
केळकर, अशोक रा. |
उपरी भाषा आणि थलकरी भाषा |
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
४२ |
कुलकर्णी, विरूपाक्ष |
मराठी शिकताना : एका कन्नडिगाचे अनुभव |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
४८ |
|
कानी पडलेला संवाद |
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
५२ |
|
विशेषणे आणि पुरुष |
भाषानिरीक्षण |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
५३ |
केळकर, अशोक रा. |
१. प्रास्ताविक, २ उच्चारविवेक, ३ लिपिविवेक, ४. मांडणीविवेक, ५. शब्दरूपविवेक, ६ अर्थविवेक |
भाषाविवेक |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
५४ |
|
बुद्धी आणि जीविका |
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
५८ |
|
१ आजीव सभासद होऊ इच्छिणाऱ्यांसाठी सूचना, २. लेखकांसाठी सूचना, ३. वाचकांसाठी सूचना |
सूचना-फलक |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
५९ |
|
महाबँक भाषाविषयक लेखन पारितोषिक १९८४ |
परिषद-वार्ता |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
६० |
|
|
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
६० |
|
वर्ष १, १९८३ आणि वर्ष २, १९८४ यांची सूची |
पत्रिकासूची |
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
६१ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
|
|
अनुक्रम |
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
|
|
|
|
२ |
४ |
दिवाळी |
१९८४ |
|
केळकर, अशोक रा. |
काळाची एक शैक्षणिक गरज |
संपादकीय |
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
१ |
|
१. संज्ञापनातील अंतर, २. शालाशुद्ध, ३. शब्दकोश आणि घड्याळं |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
३ |
बर्नसन, मॅक्सीन |
सुंदर असावे घर |
सहज |
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
४ |
ऊर्ध्वरेषे, प्रभाकर |
परभाषांतील नावांचे उच्चर कसे करावे? |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
६ |
आचार्य, माधव ना. |
मराठी वाक्यरचना आणि प्रयोगांतर |
भाषानिरीक्षण |
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
१३ |
गोखले, द. न. |
डॉ. केतकरांच्या भाषाविषयक विचारांबद्दल आणखी थोडेसे |
साद आणि प्रतिसाद |
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
१६ |
देव, विजया |
विशेषणे आणि पुरुष |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
२० |
घारे, दीपक र. |
बरंच काही सांगून जाते |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
२१ |
खडपेकर, श्रीकृष्ण |
शब्दांचे वेड |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
२३ |
देव, विजया |
मांडणी विवेक / आकलनसुलभ मांडणी |
भाषाविवेक |
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
२६ |
परांजपे, प्र. ना. |
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
२८ |
|
मराठीमधले भाषाविषयक लेखन १९८१ व १९८२ |
वाङ्मयसूची |
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
२९ |
|
लेखकांसाठी सूचना |
सूचना-फलक |
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
३५ |
|
१. क्षमस्व, २. नावात काय बरं आहे? |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
३६ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
|
|
अनुक्रम |
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
|
|
|
|
३ |
१ |
हिवाळा |
१९८५ |
|
केळकर, अशोक रा. |
भाषिक समता |
संपादकीय |
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
१ |
प्रधान, ग. प्र. |
राजकारणातील भाषा |
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
४ |
आचार्य, माधव ना. |
. . .दिव्या गीर्वाण भारती |
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
९ |
देव, विजया |
थोडे शब्दकोशांविषयी - |
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
१२ |
संगोराम, मिलिंद स. |
कथार्सिस याने निचरा |
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
१७ |
कानडे, मु. श्री. |
रामदासांचा भाषाविचार |
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
२० |
गोखले, द. न. |
मराठीतील संज्ञापनविशेष |
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
२७ |
भवाळकर, तारा |
मायबोलीमधले धक्के आणि हिसके |
ज्याची त्याची प्रचीती |
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
३२ |
महाशब्दे, मो. वि. |
संस्कृत शास्त्रग्रंथाचा मराठी अनुवाद |
पुस्तकपरीक्षण |
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
३५ |
|
१. लेखकांसाठी सूचना, २. लेखकाच्या शोधात साठ विषय, ३. नवी माहिती |
सूचना-फलक |
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
४२ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
|
|
अनुक्रम |
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
|
|
|
|
३ |
२ |
उन्हाळा |
१९८५ |
|
केळकर, अशोक रा. |
... आणि भाषिक बंधुता |
संपादकीय |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
१ |
मोडक, वि. आ. |
|
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
३ |
अडोणी, दा. ल. |
ज्ञानेश्वरांचा भाषाविचार |
विचारसंकलन |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
४ |
लॉयोला, संत इग्नेशियस |
आत्मानात्मकविवेक - जरा निराळा |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
१३ |
अत्रे, प्र. के. |
शब्दांच्या डोंगरांमधून काढलेली वाट |
ज्याची त्याची प्रचीती |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
१४ |
बोर, नीज |
सत्यासत्यविवेक - जरा निराळा |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
१५ |
मेहेंदळे, म. अ. |
राज्यात राज्यभाषेतर माध्यमाच्या शाळा असाव्यात का? |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
१६ |
केळकर, अशोक रा. |
शब्दरूपविवेक / मी सर्वनामाची तृतीया |
भाषाविवेक |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
२३ |
केळकर, अशोक रा. |
शब्दरूपविवेक, संज्ञाविवेक / हिंदीचा अलीकडे वाढलेला प्रभाव |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
२४ |
|
ओळखीची मंडळी |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
२६ |
मराठे, सुधाकर |
सौंदर्य आणि शिक्षण - एक प्रतिसाद |
साद आणि प्रतिसाद |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
२७ |
|
कानी पडलेला संवाद |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
२९ |
|
मराठीमधले भाषाविषयक लेखन १९८३ व १९८४ |
वाङ्मयसूची |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
३० |
ट्वेन मार्क |
मेहेरबान लेखक यांचे हुकुमावरून |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
३८ |
|
'कनिष्ठ न्यायालयांतील भाषांतर' : पुढे काय झाले? |
भाषा-वार्ता |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
३९ |
|
१. मराठीमधले भाषाविषयक लेखन : आवाहन, २. मराठी भाषा आणि भाषाव्यवहार यावर अन्य भाषांतील लेखन : आवाहन |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
४० |
संगोराम, श्रीरंग दामोदर |
नव्या जबाबदाऱ्यांसाठी पूर्वतयारी |
पुस्तकपरीक्षण |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
४१ |
|
१. लेखकांसाठी सूचना, २. चुकीची दुरुस्ती |
सूचना-फलक |
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
४४ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
|
|
अनुक्रम |
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
|
|
|
|
३ |
३ |
पावसाळा |
१९८५ |
|
केळकर, अशोक रा. |
....आणि भाषिक स्वाधीनता |
संपादकीय |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
१ |
मुंडले, आशा |
जेव्हा आदिवासी बोलते होतात तेव्हा |
|
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
४ |
भाटे, सरोजा |
संस्कृत भाषा आणि संगणक |
भाषा-वार्ता |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
११ |
|
कानी पडलेला संवाद |
|
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
१७ |
केळकर, अशोक रा. |
मराठी भाषेतील पदक्रम |
भाषानिरीक्षण |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
१८ |
पाणिक्कर, रायमुंडो |
२ क्ष = क्ष + य |
|
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
३० |
गोगटे, सुधा |
मराठी भाषेचा वापर : एक टिपण |
भाषाविवेक |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
३१ |
राय, सुजाता |
कानी पडलेला संवाद |
|
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
३४ |
पुंडे, दत्तात्रय दिनकर |
राज्य परिवहन मंडळ : निषेध आणि अभिनंदनही |
ज्याची त्याची प्रचीती |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
३५ |
निमकर, श्रीधर |
'शब्दांचे वेड' : एक प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
३८ |
रायकर, सीताराम |
जाहिरातकला आणि 'शब्दप्रभू' साहित्यिक |
जाताजाता |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
४० |
केळकर, अशोक रा. |
भाषायण |
धन परक्याचे |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
४१ |
सोहोनी, गुरुदत्त शंकर |
कॉम्प्यूटरच्या अंतरंगाचा सोप्या भाषेत परिचय |
पुस्तकपरीक्षण |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
४२ |
|
वर्ष ३, १९८५ ची सूची |
पत्रिकासूची |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
४४ |
|
१. दोन शंका, २. समाधान |
शंका आणि समाधान |
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
४७ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
|
|
|
|
३ |
४ |
दिवाळी |
१९८५ |
|
काळे, कल्याण |
मराठीचं शुद्धलेखन |
संपादकीय |
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
१ |
देशपांडे, गौरी |
भाषांतर : छायानुवाद की भावानुवाद? |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
३ |
निमकर, श्रीधर |
संस्कृत भाषेचे शिक्षण |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
८ |
आचार्य, माधव ना. |
आपण ह्यांना ओळखलंत का? |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
१२ |
|
वाणी आणि जाणीव |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
१५ |
त्रिलोचन |
चष्मा काळी अक्षरं ओळखत नाही |
धन परक्याचे |
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
१६ |
|
पूर्वग्रहदोष |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
१७ |
कुलकर्णी, व. दा. |
'वछाहरणा' तील अर्थप्रपंच |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
१८ |
|
कानी पडलेला संवाद |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
२३ |
|
खेळाची सांगता |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
२३ |
|
मराठीला लाभलेला एक अनन्वय अलंकार |
भाषा परीक्षण |
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
२४ |
|
आधारांच्या शोधात पृथ्वीप्रदक्षिणा |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
३० |
किर्लोस्कर, मालती शं. |
आरसे - पण पारा उडालेले! |
ज्याची त्याची प्रचीती |
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
३१ |
|
कॉन्स्पिरसी ऑव्ह सायलन्स |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
३६ |
केळकर, अशोक रा. |
लेखनविवेक / स्वल्पविराम आणि समयोगी रचना |
भाषाविवेक |
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
३७ |
|
मराठीमधले भाषाविषयक लेखन १९८५ |
वाङ्मयसूची |
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
३९ |
|
कशाला काय म्हनू नही |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
४४ |
परांजपे, प्र. ना. |
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
४५ |
|
लेखकांसाठी सूचना |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
४६ |
|
कानी (न) पडलेला संवाद |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
४८ |
|
महाबँक भाषाविषयक लेखन पारितोषिक १९८५ |
परिषद-वार्ता |
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
४८ |
अवचट, अनिल |
|
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
|
|
अनुक्रम |
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
|
|
|
|
४ |
१ |
हिवाळा |
१९८६ |
|
सोमण, अंजली |
व्याख्यान संज्ञापनाचं कालबाह्य माध्यम |
संपादकीय |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
१ |
|
वक्त्याची व्याख्या |
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
३ |
आचार्य, माधव ना. |
समासोक्ती |
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
४ |
|
|
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
७ |
बर्नसन, मॅक्सीन |
बदलती नाती आणि भाषेचा शोध |
सहज |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
८ |
|
|
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
९ |
गोखले, प्रदीप प्र. |
आस्तिक-नास्तिक |
अर्थरूपायण |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
१० |
दांडेकर, रा. ना. |
|
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
१३ |
मोहिते, शरदिनी |
व्यक्तिमत्त्व शब्दांचे |
ज्याची त्याची प्रचीती |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
१५ |
|
प्रत्यक्ष दर्शन आणि परोक्षश्रवण |
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
२० |
भिडे, वसुधा |
गंगागवरीच्या निमित्ताने |
भाषानिरीक्षण |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
२१ |
|
प्रो. रानडे यांचा नवा इंग्रजी-मराठी कोश |
पुनर्भेट |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
२३ |
|
|
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
२९ |
पदकी, सरिता |
भाषेतील बदल, बायकांच्या बाबतीत - ऑफिसातली टीकाटिप्पणी |
दखलपात्र |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
३० |
वनारसे, श्यामला |
आणि काही भाषिक / कौटुंबिक कोडी (अर्थात बायकांच्या बाबतीतली) |
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
३२ |
|
|
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
३३ |
श्यामविमल |
भाषा पूर्वी की जीवन पूर्वी? |
शंका आणि समाधान |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
३४ |
सोमण, अंजली |
शब्द हवा आहे 'गट्स' साठी |
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
३६ |
देशपांडे, सुधाकर शं. |
१. नजरेला पडलेले पत्र, २. रसातळची मराठी भाषा, ३. 'चला वाटा वाट करू' |
साद आणि प्रतिसाद |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
३८ |
तेंडूलकर, रमेश |
प्रतिमांची मुशाफिरी |
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
४० |
|
|
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
४१ |
काळे, अक्षयकुमार |
एका उचित धाडसाचे स्वागत |
पुस्तकपरीक्षण |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
४२ |
|
|
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
४७ |
|
१. महाबँक-भाषाविषयक लेखन पारितोषिक वितरण समारंभ, २. पत्रिकेसाठी अनुदान मंजूर |
परिषद-वार्ता |
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
४८ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
|
|
अनुक्रम |
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
|
|
|
|
४ |
२ |
उन्हाळा |
१९८६ |
|
सोमण, अंजली |
व्याख्यानं आणि वृत्तपत्रं |
संपादकीय |
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
१ |
|
|
|
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
२ |
जोग, रा. श्री. |
भाषिक स्वातंत्र्य आणि भाषावार प्रांतरचना |
पुनर्भेट |
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
३ |
|
कानी पडलेला संवाद |
|
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
२२ |
कुलकर्णी, विरूपाक्ष |
शब्दांच्या दुनियेत |
भाषानिरीक्षण |
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
२३ |
|
थोडक्यात सोय |
|
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
२५ |
सच्चिदानंद, कु. |
कवितेचा अनुवाद म्हणजे |
वसा आंतरभारतीचा |
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
२६ |
|
अहवाललेखन : एक पाककृती |
|
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
२७ |
परदेशी, बाबुलाल |
जोड-असर |
दखलपात्र |
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
२८ |
|
अहवाललेखन : एक पाककृती |
|
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
३७ |
मराठे, सुधाकर |
खंडणी की मातृदक्षिणा? |
ज्याची त्याची प्रचीती |
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
३८ |
|
न्यायालयात मराठी : लोकस्वतंत्रता - समितीची मागणी |
भाषा-वार्ता |
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
४३ |
मुंडले, आशा |
अनवट विषयाचे क्षितिज |
पुस्तकपरीक्षण |
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
४५ |
|
व्यस्त गणिते |
|
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
४८ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
|
|
|
|
४ |
३ |
पावसाळा |
१९८६ |
|
सोमण, अंजली |
. . . . आणखी एक ओसरते माध्यम |
संपादकीय |
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
१ |
|
इये मराठीचिये नगरी |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
३ |
आचार्य, माधव ना. |
रूपकाच्या विळख्यात |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
४ |
भागवत, विद्युत् |
एक मृत्युलेख |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
६ |
ओंकार, भय्यासाहेब |
मराठी हस्तलिखित ग्रंथांचा प्रपंच |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
७ |
जोगळेकर, सुषमा |
तरच विद्यार्थी काव्याभिमुख होऊ शकतील! |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
१४ |
तोदोरोव, त्स्वेतान |
वाणीचा महिमा आणि राजकारण |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
१९ |
देव, विजया |
भाषेचे द्रव्य आणि 'सत्तांतर' चा रंग व पोत |
भाषानिरीक्षण |
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
२० |
करंदीकर, वि. रा. |
काही अधिक बरे पर्याय |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
२८ |
महापात्र, जयंत |
अंतर्यामीचा अनोळखी : पटवून घ्यायचं कवितेमधून |
ज्याची त्याची प्रचीती |
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
२९ |
कानिटकर, मो. ग. |
संज्ञाविवेक / फोटोग्राफी, फोनोग्राफी |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
३५ |
डॅनियल |
१. आदर्श पत्रकारिता कशी करावी?, २. पुस्तके कशासाठी |
दखलपात्र |
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
३६ |
|
कानी पडलेला संवाद |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
३९ |
बसर्गेकर, श्याम केशव |
निरोप घेता |
दखलपात्र |
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
४० |
|
वर्ष ४, १९८६ ची सूची |
पत्रिकासूची |
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
४३ |
|
महाबँक भाषाविषयक लेखन पारितोषिक : १९८६ |
सूचना-फलक |
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
४८ |
अवचट, अनिल |
चित्र |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
|
|
अनुक्रम |
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
|
|
|
|
४ |
४ |
दिवाळी |
१९८६ |
|
परांजपे, प्र. ना. |
मराठी वृत्तपत्रे आणि इंग्रजीची ताबेदारी |
संपादकीय |
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
१ |
बोर, नील्स |
वैज्ञानिकाचे वेळापत्रक |
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
२ |
रानडे, अशोक दा. |
आवाज - जोपासना आणि नाट्यात्म भाषण |
नाट्यात्म भाषण लेखमाला : लेखांक १ |
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
३ |
दाभोळकर, प्रसन्न |
डॉक्टर-पेशंट यांचे संज्ञापन |
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
१४ |
|
|
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
१९ |
मुंडले, आशा |
उसनवारीची उसनवारी |
भाषानिरीक्षण |
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
२० |
निंबकर, जाई |
लहान मुलांची भाषा : काही नोंदी |
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
२१ |
खैरे, विश्वनाथ |
'जोडअसर' |
साद आणि प्रतिसाद |
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
२३ |
|
न झालेला संवाद |
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
२५ |
चुनेकर, सु. रा. |
एक मराठी - मराठी शब्दकोश आणि त्याच्या निमित्ताने |
पुस्तकपरीक्षण |
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
२६ |
|
|
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
३९ |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन १९८६ |
वाङ्मयसूची |
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
४० |
|
१ पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन, २. टपालहशिलाबद्दल थोडेसे |
सूचना-फलक |
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
४८ |
फडणीस, शि. द. |
|
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
|
|
अनुक्रम |
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
|
|
|
|
५ |
१ |
हिवाळा |
१९८७ |
|
पुंडे, दत्तात्रय |
न्यायालयात मराठी |
संपादकीय |
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
१ |
बर्नसन, मॅक्सीन |
प्रमाण आणि प्रमाणेतर भाषाशिक्षकांची भूमिका |
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
४ |
रानडे, अशोक दा. |
भाषणप्रकार आणि नाट्यात्मता |
नाट्यात्म भाषण लेखमाला : लेखांक २ |
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
१० |
आचार्य, माधव ना. |
सुळकुंबा आणि पोपटी |
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
२२ |
|
मुद्दा पटवण्याचे दोन मार्ग |
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
२५ |
फडणीस, शकुंतला |
शब्द आणि अर्थ |
भाषानिरीक्षण |
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
२६ |
दाते, श्यामला |
झोपडपट्टी आणि शालेय मराठी : काही अनुभव एक सूचना |
साद आणि प्रतिसाद |
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
२८ |
|
मराठीचा विजय असो! |
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
३३ |
सोमण, अंजली |
मुद्रण व्यवसायाची सद्यःस्थिती |
साद आणि प्रतिसाद |
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
३४ |
अर्जुनवाडकर, कृष्ण श्री. |
रुक्ष मानलेल्या विषयाला सुखद दाद |
भाषाभ्यासवार्ता |
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
३६ |
डांगे, सदाशिव अं. |
लालित्य व संशोधन : एक हरवलेला तोल |
पुस्तकपरीक्षण |
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
३८ |
|
तपाचा एक प्रकार |
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
५० |
|
अनुजानामि सकाय निरुत्तिया |
पुनर्भेट |
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
५१ |
|
स्वागतार्ह उपक्रम आणि अभिनंदन |
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
५२ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
|
|
अनुक्रम |
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
|
|
|
|
५ |
२ |
उन्हाळा |
१९८७ |
|
केळकर, अशोक रा. |
तोंडी मांडणी |
संपादकीय |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
१ |
|
१. अनुभव आणि कलाकृती, २. भावुकता आणि उत्कटता, ३. गफलत |
|
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
४ |
भागवत, वा. बा. |
पाणिनीय व्याकरण : परंपरा आणि पद्धती |
|
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
५ |
रानडे, अशोक दा. |
भाषणशैली आणि नाट्यात्म शक्यता |
नाट्यात्म भाषण लेखमाला : लेखांक ३ |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
२० |
कूझेन्बर्ग, कुर्ट |
कुणीतरी म्हणजे कोण? |
धन परक्याचे |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
२८ |
कुसुमाग्रज |
कोण |
पुनर्भेट |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
३४ |
|
नव्हत्याचा होता |
|
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
३४ |
ग्लुश्कोवा, इरिना |
डॉ. तात्याना कातेनिना : एक श्रद्धांजली |
भाषाभ्यासवार्ता |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
३५ |
|
प्रयोगविवेक । पत्ता कसा लिहावा |
भाषाविवेक |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
३९ |
भवाळकर, तारा |
शाळा मागची सुटे ना |
जाताजाता |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
४२ |
गोडबोले, लक्ष्मण न. |
कन्नड-मराठी जाणकारांसाठी |
शंका आणि समाधान |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
४४ |
भागवत, गीता सुभाष |
'किंवा' म्हणजे 'आणि' तर नव्हे? |
शंका आणि समाधान |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
४४ |
पेडणेकर, आ. ना. |
विदग्ध वैचारिकता |
साद आणि प्रतिसाद |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
४५ |
संपादक |
न झालेला संवाद - पुन्हा एकदा |
साद आणि प्रतिसाद |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
४५ |
प्रीतम, अमृता |
निषिद्ध मिलन |
|
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
४६ |
|
|
सूचना-फलक |
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
४७ |
फडणीस, शि. द. |
|
|
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
|
|
अनुक्रम |
|
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
|
|
|
|
५ |
३ |
पावसाळा |
१९८७ |
|
केळकर, अशोक रा. |
संज्ञापन आणि गतिरोधक |
संपादकीय |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
१ |
पाठक यशवंत |
भाष्य नलगे |
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
२ |
बेदी राजेंद्रसिंग |
शिवी |
वसा आंतरभारतीचा |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
३ |
रानडे, अशोक दा. |
नाट्यात्म भाषण म्हणजे काय? |
नाट्यात्म भाषण लेखमाला : लेखांक ४ |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
१२ |
|
कानी पडलेला संवाद |
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
१९ |
आलासे वीणा |
अनुवादकाची कामगत |
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
२० |
एब्रहम अबू |
माध्यम हाच शत्रू बनतो |
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
२९ |
भिडे, वसुधा |
लोकाचारातील काही शब्दप्रयोग |
भाषानिरीक्षण |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
३३ |
भागवत, श्री. पु. |
लेखक : प्रकाशक : वाचक |
दखलपात्र |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
३५ |
|
संस्कृत 'संभ्रम' : मराठी-कन्नड अर्थविभ्रम |
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
३९ |
|
ठेवणीतले शब्दार्थ |
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
४४ |
आजगावकर, मोहन |
साक्षरताप्रसारक, डॉक्टर आणि पेशंट : काही नोंदी |
साद आणि प्रतिसाद |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
४५ |
बडोदेकर, शरच्चंद्र |
संपादकीयाचे संपादन |
साद आणि प्रतिसाद |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
४७ |
आवळीकर, पंडित |
'भावी' नव्हे, 'भवी' |
शंका आणि समाधान |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
४८ |
पळसुले, ग. बा. |
एका वैचारिक परंपरेचा डोळस परिचय |
पुस्तकपरीक्षण |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
४९ |
केळकर, अशोक रा. |
एका कवीला, सद्गृहस्थाला अभिवादन |
पुस्तकपरीक्षण |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
५२ |
|
१. परिषदेच्या आजीव सदस्यांची यादी, २. पत्रिकेचे संस्था-ग्राहक |
परिषद-वार्ता |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
५३ |
दण्डी |
भाषेविना जीवन |
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
५६ |
|
वर्ष ५, १९८७ ची सूची |
पत्रिकासूची |
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
५७ |
फडणीस, शि. द. |
|
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
|
|
अनुक्रम |
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
|
|
|
|
५ |
४ |
दिवाळी |
१९८७ |
|
काळे, कल्याण |
हेही एक संज्ञापनच! |
संपादकीय |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
१ |
पळशीकर, सुहास |
मराठीतून राज्यशास्त्र : दोन प्रयत्न |
ज्याची त्याची प्रचीती |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
३ |
घारे, दीपक |
'पूर्वग्रह' : जैविक आणि भाषिक |
|
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
१७ |
|
कवितेचा धसका |
|
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
२१ |
रानडे, अशोक दा. |
नाट्यात्म भाषणातील आवाज-जोपासना |
नाट्यात्म भाषण लेखमाला : लेखांक ५ |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
२२ |
देव, विजया |
अनुवादक्रियेची एक भारतीय शोधयात्रा |
भाषाभ्यासवार्ता |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
२७ |
खैरे, विश्वनाथ |
'सुळकुंबा आणि पोपटी' बद्दल थोडेसे |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
३३ |
आपटे माधवी |
शब्द हवा आहे ना? |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
३६ |
खैरे, विश्वनाथ |
परीक्षणावर नजर |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
३६ |
गर्दे, पु. कृ. |
इंग्रजी गद्याचा मराठी अवतार |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
३७ |
परांजपे, प्र. ना. |
अनुवादावर एक नजर |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
३९ |
|
पुरुषानुसार फिरणारी त्रिके |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
३९ |
निमकर, श्रीधर |
अपिहितः पिहितश्च |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
४० |
|
डोके-सुलटे आणि उफराटे |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
४० |
आचार्य, माधव ना. |
मराठी व्याकरणपरंपरेचे नव्याने परीक्षण |
पुस्तकपरीक्षण |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
४१ |
आपटे, माधवी |
परकीयांशी त्यांच्या भाषेत... |
|
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
५० |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन १९८७ |
वाङ्मयसूची |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
५१ |
रोज, टीना |
झुकानेवाला चाहिए |
|
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
५४ |
|
लेखकांसाठी सूचना |
सूचना-फलक |
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
५५ |
|
चुकीची दुरुस्ती |
|
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
५६ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
|
|
अनुक्रम |
|
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
|
|
|
|
६ |
१ |
हिवाळा |
१९८८ |
|
काळे, कल्याण |
भाषा : सोयी किती, तडजोडी किती? |
संपादकीय |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
१ |
झणकर, अनिल |
चित्रपट आणि इतर कला : तुलनात्मक विचार |
चित्रपट लेखमाला : लेखांक १ |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
३ |
|
'सवालक्ष', 'घडामोड', आणि 'हारूवरू' : काही अर्थान्तरे |
|
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
१० |
अग्निहोत्री, द. ह. |
अभिनव मराठी शब्दकोश : योजना, निर्मिती व अनभव |
|
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
१२ |
|
चुकीची दुरुस्ती |
सूचना-फलक |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
१७ |
गॉम्रिंगर, ऑयगन |
१. तारकापुंज, २. शांतता |
धन परक्याचे |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
१८ |
दाभोलकर, वृंदा |
प्रतीक आणि व्यवहार |
|
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
१९ |
डहाके, वसंत आबाजी |
पाणिनीय व्याकरण : काही पैलू |
साद आणि प्रतिसाद |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
२१ |
धोंडगे, दिलीप |
शाळा |
|
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
२४ |
राजगुरू, मेघमाला |
संवादाची भाषा |
ज्याची त्याची प्रचीती |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
२६ |
दाभोलकर, वृंदा |
प्रतिज्ञेत हे असले शब्द कसे हो? |
ज्याची त्याची प्रचीती |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
२९ |
झाबवाला, रूथ प्रावेर |
मला न आवडे भारत |
दखलपात्र |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
३१ |
पगडी, सेतुमाधवराव |
शिक्षेमुळे लाभलेले भाग्य |
दखलपात्र |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
३३ |
झैलसिंग, ग्यानी |
युक्तीच्या चार गोष्टी |
दखलपात्र |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
३६ |
मुखर्जी, मीनाक्षी |
विश्वात्मकता मर्यादित |
दखलपात्र |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
३६ |
|
१. भाषाशुद्धी : प्रौढांची, २. भाषाशुद्धी : बालकांची |
दखलपात्र |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
३७ |
आचार्य, माधव ना. |
प्रतिशब्दाची उलझन |
भाषानिरीक्षण |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
३८ |
पुंडे, द. दि. |
रहावा |
भाषानिरीक्षण |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
४० |
देव, विजया |
आमच्याकडे आणि तिकडे |
भाषानिरीक्षण |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
४१ |
पाटील, पुरुषोत्तम |
फूँकमारी |
भाषानिरीक्षण |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
४१ |
|
एक खासच निर्णय |
भाषा-वार्ता |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
४३ |
बडवे, नीती |
एक कोडं |
शंका आणि समाधान |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
४५ |
नाईक, राजीव |
विष्णुपंत भागवत : मराठी ग्रंथमुद्रण व्यवसायावर उमटलेला ठसा |
पुस्तकपरीक्षण |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
४६ |
|
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
५२ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
|
|
अनुक्रम |
|
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
|
|
|
|
६ |
२ |
उन्हाळा |
१९८८ |
|
केळकर, अशोक रा. |
भाषेशी खेळणे |
संपादकीय |
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
१ |
तिरुमलेश, कि. वें. |
सर्जक अनुवाद : एका व्यक्तीचा दृष्टिकोण |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
५ |
|
ज्याचं हवं त्याच्यापाशी |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
१५ |
ब्लेक, विल्यम |
THE TYGER |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
१६ |
रानडे, पंढरीनाथ |
वाघा, वाघा, वनरुद्रा! |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
१६ |
पंडित, मोहन |
तेरेस |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
१८ |
झणकर, अनिल |
चित्रपट ही भाषा आहे काय? |
चित्रपट लेखमाला : लेखांक २ |
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
२१ |
कुलकर्णी, द. भि. |
एका शब्दाच्या निमित्ताने |
दखलपात्र |
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
३४ |
बल्लाळ, नरेंद्र |
घरचा आहेर |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
३६ |
गोगटे, मधुकर ना. |
लिपी बदलू या |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
३७ |
ग्लुश्कोव्हा, इरीना |
नशीब, अर्भक, आणि मराठी भाषेची पाठ्यपुस्तकं |
पुस्तकपरीक्षण |
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
३९ |
|
मराठी परभाषा म्हणून शिकवण्यासाठी सामग्री |
वाङ्मयसूची |
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
४५ |
|
१. चुकीची दुरुस्ती, २. निदेशिका सूची सदोष! |
सूचना-फलक |
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
४८ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
|
|
अनुक्रम |
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
|
|
|
|
६ |
३ |
पावसाळा |
१९८८ |
|
पुंडे, दत्तात्रय |
शब्द कुसुमाग्रजांचा |
संपादकीय |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
१ |
कुसुमाग्रज |
नाव |
पुनर्भेट |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
४ |
वझे, माधव |
कानी पडलेला संवाद |
|
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
४ |
झणकर, अनिल |
चित्रपट आणि नाट्यकला : दोन संज्ञापनमाध्यमे |
चित्रपट लेखमाला : लेखांक ३ |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
५ |
बेंजामिन, वॉल्टर |
जपून! पायऱ्या आहेत |
|
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
१३ |
अकलूजकर, विद्युल्लेखा |
वसती वनकुहरी |
ज्याची त्याची प्रचीती |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
१४ |
देव, विजया |
श्री. म. माटे यांची वाङ्मयीन शैली |
|
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
१८ |
|
शिअर और जबा |
|
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
२४ |
गोखले, द. न. |
जातीच्या सुंदराला. . . काहीही |
भाषापरीक्षण |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
२५ |
आचार्य, माधव ना. |
कात्रजचा घाट |
जाता जाता |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
२७ |
टिळक, नानासाहेब |
दुर्मिळ शब्द |
दखलपात्र |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
३३ |
रॅफेल फ्रेडरिक |
स्पेशल इंग्लिश |
धन परक्याचे |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
३५ |
|
स्पेशल इंग्लिश कार्यक्रम |
भाषा-वार्ता |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
३७ |
बुत्तित्ता, इञाझीयो |
आ उन पोपुलु |
धन परक्याचे |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
३९ |
|
शब्द हवा आहे / शब्द सापडतो आहे |
शंका आणि समाधान |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
४१ |
|
वर्ष ५, १९८८ ची सूची |
पत्रिकासूची |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
४३ |
विमल, श्याम |
जाणे |
वसा आंतरभारतीचा |
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
४८ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
|
|
अनुक्रम |
|
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
|
|
|
|
६ |
४ |
दिवाळी |
१९८८ |
|
पुंडे, दत्तात्रय |
माध्यम हिंदी-इंग्रजी |
संपादकीय |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
१ |
पेडणकर, आ. ना. |
|
|
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
३ |
झणकर, अनिल |
चित्रपट आणि नाट्यकला : दोन कलामाध्यमे |
चित्रपट लेखमाला : लेखांक ४ |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
४ |
मुंडले, आशा |
माझे गुरू डॉ. कालेलकर |
|
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
१५ |
|
वचनवेध : दोन शब्द, दोन वाक्संप्रदाय |
|
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
१९ |
देव, विजया |
अक्षरविन्यास |
भाषाभ्यासवार्ता |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
२२ |
|
विकसनशील देश : विकसनविमुख शिक्षण |
दखलपात्र |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
३१ |
झा, अपर्णा |
रवींद्रनाथांची मुलांना देणगी |
|
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
३८ |
गुंडी, नीलिमा |
तिची भाषा |
भाषानिरीक्षण |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
४३ |
ग्लुश्कोव्हा, इरीना |
मराठी भाषेतील आश्चर्याचे आंबटगोड धक्के |
ज्याची त्याची प्रचीती |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
४५ |
|
अनुवादसूचीचा संकल्प : एक आवाहन |
साद आणि प्रतिसाद |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
४८ |
देव विजया |
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
४९ |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन १९८८ |
वाङ्मयसूची |
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
५० |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
|
|
अनुक्रम |
|
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
|
|
|
|
७ |
१ |
हिवाळा |
१९८९ |
|
केळकर, अशोक रा. |
भाषेचे प्रेम आणि भाषेचा द्वेष |
संपादकीय |
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
१ |
वर्मा, पी. एल. |
कानी पडलेला संवाद |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
२ |
झणकर, अनिल |
चित्रपट, नाट्यकला आणि दूरचित्रवाणी |
चित्रपट लेखमाला |
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
३ |
घासकडबी, मधुकर विश्वनाथ |
प्रभाकर ऊर्ध्वरेषे : एक संस्मरण |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
१२ |
बडवे, नीती |
मराठी भाषेतली लागालागी आणि लावालावी |
जाता जाता |
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
१७ |
किपलिंग, रड्यर्ड |
प्रश्नाळू |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
१८ |
तलगेरी, प्रमोद |
भाषाविकासातील कोशकार्याचे महत्त्व |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
१९ |
गोखले, द. न. |
मराठीचा पुनर्रचित अभ्यासक्रम |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
२६ |
भावे, पुष्पा |
घुसमटलेली मराठी : एक रोगनिदान |
दखलपात्र |
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
३३ |
केळकर, अशोक रा. |
घुसमटलेली मराठी : आणखी एक रोगनिदान |
दखलपात्र |
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
३४ |
मेहेंदळे, म. अ. |
मराठी माणसाचे इंग्रजी घर |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
३६ |
धुपकर, जयंत |
मराठी परभाषा म्हणून शिकवताना |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
३८ |
केळकर, अशोक रा. |
मुले वाट पाहतात, की मुले वाट पहात असतात? |
शंका आणि समाधान |
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
३९ |
मालशे, मिलिंद स. |
इंग्लिश व्याकरणातील एक चकवा : भविष्यकाळ |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
४० |
केळकर, अशोक रा. |
पारिभाषिक संज्ञांचे घरकूल |
पुस्तकपरीक्षण |
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
४७ |
सिंह, नलिनी |
कानी पडलेला संवाद |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
५२ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
|
|
अनुक्रम |
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
|
|
|
|
७ |
२ |
उन्हाळा |
१९८९ |
|
काळे, कल्याण |
शब्द! नव्हे, पोकळ वारा |
संपादकीय |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
१ |
केळकर, अशोक रा. |
महाराष्ट्र राज्य शिक्षणक्षेत्रातील मराठी आणि इतर भाषांचे स्थान : एक टिपण |
|
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
५ |
ओक, गणेश कमलाकर |
जागतिक मराठी परिषदेच्या निमित्ताने |
|
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
१७ |
त्रिपाठी रामनारायण |
प्रयागराजची सरस्वती नदी नसून भाषा होती |
ज्याची त्याची प्रचीती |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
२२ |
|
सरस्वती ही नदीच होती |
|
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
२५ |
कुलकर्णी, वि. गो. |
विज्ञान, शिक्षण, समाज आणि भाषा |
दखलपात्र |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
२७ |
अकलूजकर, विद्युल्लेखा |
हे कसं? |
जाता जाता |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
४० |
झ्यूसकिंड, पॅट्रिक |
अर्थाविना शब्द नि शब्दाविना अर्थ |
धन परक्याचे |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
४१ |
|
'अं' मधील वडीलधारा आदर |
वचनवेध |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
४५ |
गुंडी, नीलिमा |
एक एक जो शब्द नवा तू शिकसी |
|
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
४६ |
भागवत, सुभाष शंकर |
एका पुस्तकाची जन्मकथा |
ज्याची त्याची प्रचीती |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
४७ |
मुंडले, आशा |
अध्यापनक्षेत्रातील पोकळी भरून काढणारा ग्रंथ |
पुस्तकपरीक्षण |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
४९ |
|
१. चुकीची दुरुस्ती, २. पत्रिकेच्या लिफाफ्यावरील इंग्रजी, ३. बालादपि... |
सूचना-फलक |
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
५२ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
|
|
अनुक्रम |
|
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
|
|
|
|
७ |
३ |
पावसाळा |
१९८९ |
|
सोमण, अंजली |
भाषा आणि चळवळी |
संपादकीय |
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
१ |
केळकर, अशोक रा. |
मराठी लेखनातील विरामचिह्नांचा उपयोग |
|
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
६ |
बर्नसन, मॅक्सीन |
एका काचेतून अंधूकपणे |
सहज |
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
३६ |
गुंडी, नीलिमा |
खेळ शब्दांशी.... |
भाषानिरीक्षण |
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
३७ |
दादेगावकर, पद्माकर |
साहित्यकृतीचे भाषांतर |
|
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
३९ |
देव, विजया |
साहित्येतर अनुवाद-प्रक्रिया |
|
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
५० |
साने, काशिनाथ परशुराम |
'प्राण्यांना कसे हाकलतात' |
|
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
५३ |
काळे, कल्याण |
शब्दांची अनोखी दुनिया |
|
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
५४ |
|
वर्ष ७, १९८९ ची सूची |
पत्रिकासूची |
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
५८ |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन १९८९ |
वाङ्मयसूची |
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
६३ |
जोगळेकर, गं. ना. |
महाबँक भाषाविषयक लेखन पारितोषिक |
सूचना-फलक |
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
७४ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
|
|
अनुक्रम |
|
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
|
|
|
|
७ |
४ |
दिवाळी |
१९८९ |
|
सोमण, अंजली |
'लिंग्विस्टिक कोड' आणि भाषेची कोडी |
संपादकीय |
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
१ |
|
एक प्राचीन विनोदी चुटका |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
४ |
सप्रे, गीता |
मध्यप्रदेशातील मराठी भाषा |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
५ |
आचार्य, माधव ना. |
आत्याबाईंच्या मिशा |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
१४ |
|
'देशीकार लेणे' : 'निंबार', 'साउले' |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
२० |
गुंडी, नीलिमा |
बालकथेची भाषा |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
२३ |
अकलूजकर, विद्युल्लेखा |
नाव |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
२४ |
केळेकर, रवींद्र |
मराठी-कोंकणी वाद : काही अंतःप्रवाह |
ज्याची त्याची प्रचीती |
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
२७ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
'अर्थ' म्हणजे काय? |
साद आणि प्रतिसाद |
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
३९ |
सामंत, सत्त्वशीला |
विविधतेतून एकता, की एकतेतून विविधता? |
साद आणि प्रतिसाद |
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
४० |
रायकर, सीताराम |
राहूनच गेलं |
कविता |
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
४३ |
देव, विजया |
मराठी व्याकरणाची चिकित्सा व समालोचन |
पुस्तकपरीक्षण |
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
४४ |
देव, विजया |
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
४६ |
|
पैसे पाठवण्याबद्दल महत्त्वाची सूचना |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
४६ |
|
लेखकाच्या शोधात साठ विषय |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
४७ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
|
|
अनुक्रम |
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
|
|
|
|
८ |
१ |
हिवाळा |
१९९० |
|
काळे, कल्याण |
संग्राहक ज्ञान, सर्जक ज्ञान |
संपादकीय |
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
१ |
|
धोकादायक असमतोल |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
३ |
मालशे, मिलिंद स. |
भाषिक चुका आणि त्यांचे विश्लेषण |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
४ |
|
|
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
२४ |
जोशी, रा. भि. |
भाषांतरातील काही अडचणी |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
२५ |
चुनेकर, सु. रा. |
'मराठी लेखनातील विरामचिन्हांचा उपयोग' |
साद आणि प्रतिसाद |
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
२७ |
गोखले, द. न. |
विरामचिन्हांचे अध्यापन (टिपणे) |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
३१ |
देव, विजया |
काटेकोरपणे लिहिलेला परिपूर्ण लेख |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
३३ |
|
कुंभकर्णाच्या अवस्थेतील मराठी लोक |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
३५ |
क्यांडी, |
विरामचिन्हांची परिभाषा |
पुनर्भेट |
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
३६ |
गोविंदाग्रज |
विराम-चिन्हे |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
४१ |
देव, विजया |
'लागवड आणि परिभाषा' |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
४२ |
देव, विजया |
भाची की मुलगी? |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
४३ |
सप्रे-चौधरी, विद्या |
अतिरंजित विधाने आणि जी. ए. |
दखलपात्र |
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
४४ |
|
मराठीचे यश |
भाषा-वार्ता |
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
४५ |
देव, विजया |
संगणक आणि मराठी भाषा : चर्चासत्र |
परिषद-वार्ता |
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
४६ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
|
|
अनुक्रम |
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
|
|
|
|
८ |
२ |
उन्हाळा |
१९९० |
|
परांजपे, प्र. ना. |
शासन, समाज आणि भाषिक धोरण |
संपादकीय |
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
१ |
बागूल, देवीदास |
कशाला काय म्हणावं? |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
३ |
आचार्य, माधव ना. |
ज्ञानदेवीतील प्रयोगरचना |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
४ |
देव, विजया |
मराठी भाषा आणि लेखन-व्यवहार : १९६. ते ९. |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
१६ |
किंबहुने, रवींद्र |
सोस्यूर यांचा भाषावैज्ञानिक विचार |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
२४ |
|
मायबोली मराठीला वाचवा! |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
३१ |
सोहोनी, श्री. वा. |
कालिदास आणि लिपी व अध्ययन |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
३२ |
ग्लुश्कोव्हा, इरीना |
'पुन्हा म्हणा!' |
ज्याची त्याची प्रचीती |
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
३८ |
|
|
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
४१ |
धोंडगे, दिलीप |
भाषाभिवृद्धीची (नवी) सामाजिक दृष्टी |
भाषानिरीक्षण |
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
४२ |
|
१. राजकारण्यांची भाषा, २. इटलीमधील पार्तितो पोपोलारे या पक्षातर्फे निवेदन |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
४३ |
गडकरी, मृणालिनी |
स्वाभिमान ठीक, पण समन्वय? |
ग्रंथपरीक्षण |
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
४४ |
पुंडे, दत्तात्रय |
'वंशवृक्ष' : अनुवाद-पारितोषिकाच्या निमित्ताने |
भाषा-वार्ता |
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
४७ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
|
|
अनुक्रम |
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
|
|
|
|
८ |
३ |
पावसाळा |
१९९० |
|
मुंडले, आशा |
एकेकाने एकेकाला, एखाद्याला |
संपादकीय |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
१ |
|
सर्वात मोठा शब्द |
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
३ |
जोगळेकर, गं. ना. |
मराठी शुद्धलेखन : पुनर्विचाराच्या दिशेने |
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
४ |
गोखले, करुणा |
इंग्रजी जाहिरातींना मराठीचा झगा |
दखलपात्र |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
१७ |
पुंडे, दत्तात्रय |
सीतेचा विलक्षण नाद |
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
२० |
बर्नसन, मॅक्सीन |
मराठीचा निष्क्रिय कर्मयोगी |
सहज |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
२१ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
आजीची भाषा |
भाषानिरीक्षण |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
२३ |
|
देशीकार लेणे : 'बाशिंग' |
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
२६ |
वाळके, बालचंद्र सखाराम |
कापावे, की चिरावे? |
जाता जाता |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
२९ |
अडोणी, दा. ल. |
मराठी लेखनातील संकेतचिन्हांचा उपयोग |
साद आणि प्रतिसाद |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
३१ |
केळकर, अशोक रा. |
मराठी लेखनातील संकेत-चिन्हांचा उपयोग : काही नोंदी |
साद आणि प्रतिसाद |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
३७ |
भाटे, सरोजा |
आत्याबाईंच्या मिशांबद्दल आणखी थोडेसे |
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
४२ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
'साउलें' |
साद आणि प्रतिसाद |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
४७ |
देशपांडे, गौरी |
इंग्रजीतील 'do an arrangement' आणि 'few' |
साद आणि प्रतिसाद |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
४८ |
केळकर, अशोक रा. |
मराठी शब्दरूपांमधली काही संदेह स्थळे |
भाषाविवेक |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
४९ |
आचार्य, माधव ना. |
अर्थो हि अर्थः परकीय एव! |
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
६६ |
|
वर्ष ८, १९९. ची सूची |
पत्रिकासूची |
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
७७ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
|
|
अनुक्रम |
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
|
|
|
|
८ |
४ |
दिवाळी |
१९९० |
|
शहा, मृणालिनी |
आपले जीवन - आपली भाषा |
संपादकीय |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
१ |
सद्रे, केशव |
गोव्यातील मराठीची सद्यःस्थिती : अस्मितेच्या सामाजिक, शैक्षणिक व इतर समस्या |
|
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
४ |
कांबळे, अविनाश वि. |
गझल आणि तिची भाषा |
|
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
१७ |
गर्दे, पु. कृ. |
शब्दार्थातलं डावंउजवं |
जाता जाता |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
२२ |
संपादक |
एक बदल |
|
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
२३ |
परांजपे, प्र. ना. |
अशी क्रियापदांची रूपा कशी बरी आली होती असतील? |
शंका आणि समाधान |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
२४ |
आचार्य, माधव ना. |
पुन्हा एकदा 'आत्याबाईंच्या मिशा' |
साद आणि प्रतिसाद |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
२८ |
भांडारी, अरविंद |
'आत्याबाईंच्या मिशा' : आणखी थोडंसं |
साद आणि प्रतिसाद |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
३० |
संपादक |
तंजावर येथील मराठी अभ्यास परिषद |
भाषा-वार्ता |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
३७ |
|
वैचारिक नियतकालिकांपुढील समस्या |
पत्रव्यवहार |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
३८ |
|
दुरुस्ती आणि पुस्ती |
|
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
४३ |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन १९९. |
वाङ्मयसूची |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
४४ |
शहा, मृणालिनी |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
५० |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
|
|
अनुक्रम |
|
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
|
|
|
|
९ |
१ |
हिवाळा |
१९९१ |
|
काळे, कल्याण |
पारायण की चिकित्सा? |
संपादकीय |
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
१ |
मुंडले, आशा |
नव्या मुला-मुलींच्या मराठीच्या विकासाची दिशा |
|
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
५ |
ब्रेत्सान, यूरी |
बिस्मार्ककालीन नाणं |
धन परक्याचे |
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
२१ |
हडप, वि. वा. |
करंगळीएवढे प्रेम |
|
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
३० |
आवळीकर, पंडित |
मराठी-कन्नड संबंध : भाषिक अंग |
|
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
३१ |
मंचरकर, रत्नाकर बापूराव |
कविता लेखनसंकेतांच्या |
साद आणि प्रतिसाद |
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
४५ |
मोरे सदानंद |
वैज्ञानिक१ आणि वैज्ञानिक २ ? |
शंका आणि समाधान |
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
४८ |
साने, ह. श्री. |
एक स्तुत्य आणि प्रशंसनीय प्रयत्न |
पुस्तकपरीक्षण |
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
५१ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
|
|
अनुक्रम |
|
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
|
|
|
|
९ |
२ |
उन्हाळा |
१९९१ |
|
सोमण, अंजली |
'लिटरेचर' शब्दाचा नवा अर्थ |
संपादकीय |
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
१ |
|
कानी आलेले संवाद |
|
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
४ |
मालशे, मिलिंद |
नोम चॉम्स्की यांचा भाषावैज्ञानिक सिद्धांत |
|
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
५ |
देशपांडे, ल. स. |
साहित्यकृतीचे भाषांतर : एक प्रवर्तरूप |
|
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
३३ |
खैरे, विश्वनाथ |
अशी रूपे कशी बरे आली होती असतील? |
शंका आणि समाधान |
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
४५ |
खेर, अंजनी |
परांजप्यांनूं, मी सांगताय् तुमका ती रूपां कशी येतत, तां... |
शंका आणि समाधान |
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
४६ |
रथ, नीळकंठ |
लिहिण्यापेक्षा वाचायला शिकवा |
साद आणि प्रतिसाद |
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
४९ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
पुन्हा एकदा 'साउलें' |
|
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
५० |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
आत्मलक्षी समीक्षा - शैलीवैज्ञानिक चिकित्सेचे तंत्र आणि मंत्र |
पुस्तकपरीक्षण |
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
५१ |
|
१ महाबँक भाषाविषयक लेखन पारितोषिक : १९८८, २ नवलेखक अनुदान योजना, ३. एक निवेदन |
सूचना-फलक |
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
५८ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
|
|
|
|
९ |
३ |
पावसाळा |
१९९१ |
|
मुंडले, आशा |
वाचायला शिकूया, लिहिण्याचे नंतर पाहू |
संपादकीय |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
१ |
|
नवी शब्दबंदी |
|
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
४ |
आचार्य, माधव ना. |
ज्ञानदेवीतील 'डोंड' आणि 'कोंढ' |
|
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
५ |
|
एक दुरुस्ती |
|
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
८ |
प्रभुदेसाई, वि. बा. |
मराठी भाषेच्या विकासाच्या संदर्भात कोंकणी-मराठी वादाचे स्वरूप |
|
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
९ |
मालशे, मिलिंद स. |
नोम चॉम्स्की यांचा भाषावैज्ञानिक सिद्धांत |
भाषाविचार |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
२० |
अकलूजकर, विद्युल्लेखा |
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना यांच्या कवितेतील भाषाविचार |
आंतरभारतीचा वसा |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
३२ |
कोल्हटकर, माधवी |
गाढवही गेलं आणि ब्रह्मचर्यही गेलं |
ज्याची त्याची प्रचीती |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
४१ |
भवाळकर, तारा |
अशी रूपे कशी बरे आली होती असतील? |
शंका आणि समाधान |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
४४ |
कुलकर्णी, मेधा |
आकाशवाणी आणि प्रौढ शिक्षण |
साद आणि प्रतिसाद |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
४६ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
कापावे की चिरावे? |
साद आणि प्रतिसाद |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
४९ |
संगोराम, श्रीरंग |
कन्नडमधील 'मात' आणि 'अवरु' |
साद आणि प्रतिसाद |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
५० |
|
कुलकर्णी-केळकर पत्रव्यवहारातील (भाषा आणि जीवन ९ : १) नऊ प्रतिक्रिया |
पत्रव्यवहार |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
५३ |
|
वर्ष ९, १९९१ ची सूची |
पत्रिकासूची |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
७१ |
|
भाषा आणि जीवनचे मागील अंक |
सूचना-फलक |
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
७६ |
फडणीस, शि. द. |
चित्र |
|
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
|
|
अनुक्रम |
|
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
|
|
|
|
९ |
४ |
दिवाळी |
१९९१ |
|
केळकर, अशोक रा. |
"हें विश्वाचें आंगण आम्हां दिले आहे आंदण" |
संपादकीय |
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
१ |
जोशी, श्रीपाद |
शब्दसाधना : काही स्वानुभव |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
३ |
पुंडे, द. दि. |
एक 'पीजे' : चिं. वि. जोशींचा |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
१० |
मराठे, सुधाकर |
भाषांतरातील नावे - एक चिंतन |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
११ |
आपटे, माधवी |
एमिली डिकिन्सनच्या काही लघुतम कविता |
धन परक्याचे |
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
१७ |
गुंडी, नीलिमा |
"वाचमर्थो--नुधावति" |
भाषानिरीक्षण |
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
१८ |
बापट, भा. गो. |
शब्देविण संवाद |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
२० |
गोडबोले, लक्ष्मण एन. |
इंद्रियाग्रामींचे कोंड |
साद आणि प्रतिसाद |
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
२१ |
दीक्षित, श्रीनिवास |
सायन्स, शास्त्र व विज्ञान |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
२२ |
मेहेंदळे, म. अ. |
'कडक कारवाई' |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
२३ |
खेर, अंजनी |
अ स्वराची ओढाताण |
शंका आणि समाधान |
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
२४ |
केळकर, अशोक रा. |
अ स्वराची ओढाताण |
शंका आणि समाधान |
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
२५ |
पावनगडकर, मीरा |
'आस्वाद आणि आक्षेप - संपादन-समीक्षा |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
२८ |
देशपांडे, ल. स. |
"साहित्याची भाषा' : संक्षेप, प्रतिसाद आणि प्रतिक्रिया |
पुस्तकपरीक्षण |
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
४४ |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन : १९९१ |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
५२ |
|
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
५६ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
|
|
अनुक्रम |
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
|
|
|
|
१० |
१ |
हिवाळा |
१९९२ |
|
मुंडले, आशा |
पचवून टाकलेले वाघिणीचे दूध |
संपादकीय |
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
१ |
मुंडले, आशा |
लोकशिक्षणाचे माध्यम |
संपादकीय |
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
१ |
धडफळे, मो. गो. |
बुद्ध : एक लोकशिक्षक |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
४ |
लाळे, प्र. ग. |
ज्ञानेश्वरी आणि तेलुगू |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
४ |
मेहेंदळे, सुहास |
कल्पना-स्फोट : म्हटलं, तर एक खेळ; म्हटलं, तर एक तंत्र |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
११ |
|
गौतम सारिपुत्ताची मिस्कीलपणे फिरकी घेतो |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
१४ |
माडगूळकर, व्यंकटेश |
'नभोवाणी शेतकरी मंडळ' |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
१५ |
देव, विजया |
ग्रामीण स्त्री : जीवन आणि भाषा |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
२१ |
|
येशू कृतीमधून लोकशिक्षण करतो |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
२४ |
कानडे, मु. श्री. |
श्रीसमर्थ रामदास आणि लोकशिक्षण |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
२५ |
लिमानोव्हा, ईशा |
मराठी भाषा शिकताना आलेला अनुभव |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
२५ |
सहस्रबुद्धे, वर्षा |
भाषा-विकास केंद्र : एक अनोखा अनुभव |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
२६ |
पाटील, लीला |
थेंबे थेंबे वृत्तिविकास |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
३३ |
गुंडी, नीलिमा |
'र' चे राज्य |
भाषानिरीक्षण |
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
३४ |
भवाळकर, तारा |
अक्षरयात्रा नव्हे अक्षययात्रा |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
३६ |
दिब्रिटो, फ्रान्सिस |
येशूची लोकशिक्षणाची शैली |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
४० |
|
चुकीची दुरुस्ती |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
४० |
जोशी, स्मिता |
विक्यविचारातील एका ज्वलंत क्षेत्राचं साक्षेपी आणि विचारप्रवर्तक भाषाविश्लेषण |
पुस्तकपरीक्षण |
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
४१ |
|
विषय महत्त्वाचा पण नाजूक |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
४९ |
मल्लिकार्जुन, बी. |
याला म्हणतात समन्वयबुद्धी! |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
५६ |
|
नवलेखक अनुदान योजना. |
सूचना-फलक |
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
५६ |
केळकर, अशोक रा. |
कामजीवनशिक्षणासाठी उपयुक्त परिभाषा |
परिशिष्ट १ |
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
६५ |
केळकर, अशोक रा. |
लोकशिक्षणाची दृष्टिगम्य माध्यमे : काही विचार |
परिशिष्ट २ |
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
७८ |
|
वर्ष १., १९९२ सूची |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
९१ |
देशपांडे, श्याम |
चित्र |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
|
देशपांडे, श्याम |
चित्र |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
|
|
अनुक्रम |
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
|
|
|
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
|
|
|
|
१० |
२ |
उन्हाळा |
१९९२ |
|
सोमण, अंजली |
भाषांतर : घातकर्म की पुण्यकर्म? |
संपादकीय |
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
१ |
देशपांडे, ल. स. |
भाषांतर-विचार आणि कवितेचे भाषांतर : |
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
४ |
याकबसन, रोमान |
भाषांतराचे भाषावैज्ञानिक पैलू |
धन परक्याचे |
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
२१ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
ललित साहित्याचे भाषांतर : एक यक्षप्रश्न |
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
३२ |
देव, विजया |
ललितेतर वाङ्मयाचा अनुवाद |
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
३९ |
पंडित, माया |
नाटकाच्या भाषांतरातील समस्या |
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
४२ |
बडवे, नीती |
भूगोल, भाषा आणि भाषांतर : जर्मन --> मराठी |
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
५१ |
देशपांडे, गौरी |
ललित साहित्याचे भाषांतर का करायचे? |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
५८ |
परांजपे, प्र. ना. |
अज्ञानातून आलेली प्रतीकात्मता |
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
६२ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
|
|
अनुक्रम |
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
|
|
|
|
१० |
३ |
पावसाळा |
१९९२ |
|
सोमण, अंजली |
अनुवाद आणि भाषेचे पोषण |
संपादकीय |
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
१ |
केळकर, अशोक रा. |
अनुवाद : शास्त्र की कला? |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
५ |
श्रीविजय |
अनुवादक्रियेचे धिंदवडे |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
३० |
कुलकर्णी, विरूपाक्ष |
अनुवाद आणि समीक्षा |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
३१ |
पुंडे, दत्तात्रय |
भाषांतरातील सर्जकता |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
४० |
काकडे, आसावरी |
कवितांचा अनुवाद : एक अनुभव |
ज्याची त्याची प्रचीती |
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
४७ |
संगोराम, मुकुंद |
वृत्तपत्रातील मराठी : एक अजब अनुवादक्रिया |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
५२ |
नेउरगावकर, वि. गं. |
अनुवाद - एक व्यवसाय |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
५७ |
देवधर, य. चिं. |
मौखिक अनुवाद : एक व्यवसाय व व्यवहार |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
६१ |
|
अनुवादविषयक लेखनाची निवडक सूची |
वाङ्मयसूची |
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
७९ |
देशपांडे, गौरी |
'अभाषांतरीय'? आणि यासाठी? |
साद आणि प्रतिसाद |
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
९३ |
परांजपे, प्र. ना. |
परकीय विचार घ्यायचा, तर तो नीटपणे द्यावा |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
९४ |
|
१९९२ मधील भाषाविषयक लेखनाची सूची |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
९६ |
|
|
परिषद-वार्ता |
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
१०१ |
|
|
सूचना-फलक |
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
१०२ |
शहा, मृणालिनी |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
१०३ |
केतकर, बालम |
चित्र |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
|
|
अनुक्रम |
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
|
|
|
|
११ |
१.२ |
हिवाळा-उन्हाळा |
१९९३ |
|
केळकर, अशोक रा. |
लोकशिक्षणाची घराणी |
संपादकीय |
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
१ |
शहा, मृणालिनी |
वादे वादे जायते तत्त्वबोधः |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
४ |
मुंडले, आशा |
लोकशिक्षणाचे राजमार्ग, आडमार्ग आणि वाममार्ग |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
२० |
केळकर, अशोक रा. |
लोकशिक्षण आणि मराठी भाषा |
पुनर्भेट |
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
२४ |
पाठक यशवंत |
वारकरी कीर्तन आणि लोकशिक्षण |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
४८ |
शेणई, सुजाता |
'लोकशिक्षण' मासिके : एक नोंद |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
५९ |
वैद्य, सरोजिनी |
'हिंदु पंच' द्वारा लोकांचे शिक्षण |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
६३ |
कुलकर्णी, वंदना |
लहान मुलांसाठी हसत-खेळत शिक्षण |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
६६ |
मुळे, गुणाकर |
ज्ञानाचा उतारा |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
७० |
जोशी, श्रीपाद |
ग्राम्यतेतील सामर्थ्य |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
७१ |
देव, विजया |
सभास्थानीचे संकेत |
ज्याची त्याची प्रचीती |
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
८१ |
परांजपे, शि. म. |
'काळा' तील निवडक निबंध |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
८२ |
आचार्य, माधव ना. |
एक आयुष्यभराचा उद्योग |
पुस्तकपरीक्षण |
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
८६ |
|
सत्यं वर धर्मं चर . . . |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
९२ |
|
महाराष्ट्र राज्य साहित्य आणि संस्कृती मंडळ - नवलेखक अनुदान योजना |
निवेदन |
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
९३ |
|
परिषद-वार्ता |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
९५ |
|
असेही असू शकते लोकशिक्षण! |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
९६ |
केतकर, बालम |
|
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
|
|
अनुक्रम |
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
|
|
|
|
११ |
३ |
पावसाळा |
१९९३ |
|
काळे, कल्याण |
एक आगळावेगळा निर्णय |
संपादकीय |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
१ |
|
मग दिसणार कसं |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
३ |
अडोणी, दा. ल. |
'देखणा' शब्दाची अर्थपरिवर्तने |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
४ |
राईलकर, मनोहर |
सल |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
११ |
कोल्हटकर, माधवी |
मुद्रण प्रथम : आवृत्ती तृतीय |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
१८ |
संत, दु. का. |
एका शब्दाचा मृत्युलेख |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
१९ |
|
राज्याचे व्याकरण आणि व्याकरणाचे राज्य |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
२५ |
देशपांडे, गौरी |
भाषांतरातील सममूल्यता आणि जाईची नवलकहाणी |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
२६ |
|
संस्कृतमधल्या चुका प्राकृतमधले खिळे |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
२९ |
गर्दे, पु. कृ. |
ओ के (OK) ची कूळकथा |
शब्दकथा |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
३० |
बडवे, नीती |
म्हणजे शब्द आपणहुन येतील |
दखलपात्र |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
३५ |
मान् गोलो |
शब्दातीत असं काही |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
३५ |
|
वनस्पतीतही 'दलित' |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
३८ |
देव, विजया |
भाषिक खोड्या |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
३९ |
ग्लुश्कोव्हा, इरीना |
लेख लिहिण्याचं हळवं निमित्त |
जाता जाता |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
४२ |
गुंडी, नीलिमा |
आकड्यांची भाषा |
भाषानिरीक्षण |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
४५ |
कोल्हटकर, माधवी |
अबोलीची फुलं |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
४६ |
रायकर, सीताराम |
अनुवादातील क्रमपरिवर्तनामुळे अर्थहानी |
साद आणि प्रतिसाद |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
४७ |
देव, विजया |
मराठीतील पहिला अवतरणकोश |
पुस्तकपरीक्षण |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
४९ |
|
शालान्त परीक्षेच्या अभ्यासक्रमात बदल |
भाषा-वार्ता |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
५१ |
विमल, श्याम |
काही कविता |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
५२ |
|
देशिकार लेणे : हनव |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
५५ |
|
भाषा आणि जीवन वर्ष ११, १९९३ ची सूची |
पत्रिकासूची |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
५७ |
|
१. सूचनाफलक, २. महाबँक मराठी भाषाविषयक लेखन पारितोषिक : १९९४ |
सूचना-फलक |
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
६० |
|
अनुक्रम |
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
|
|
|
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
|
|
|
|
११ |
४ |
दिवाळी |
१९९३ |
|
काळे, कल्याण |
स्त्रीवादी लेखन आणि भाषेतील अडसर |
संपादकीय |
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
१ |
तुळपुळे, शं. गो. |
जेजुरीचा जर्मन वारकरी : गुन्थर सोन्थायमर |
|
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
४ |
गंधे, विनायक |
'एकच प्याल्या'ची भाषा |
|
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
२२ |
पाध्ये, कमल |
जीवन, भाषा, कला : एक गोची |
दखलपात्र |
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
३७ |
सामंत, सत्त्वशीला |
देवनागरीतील जोडाक्षरांची मोडतोड |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
४१ |
कोल्हटकर, माधवी |
शब्द, कोश आणि प्रयोग |
भाषानिरीक्षण |
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
४४ |
मराठे, मंदाकिनी |
जेरी, पेरी |
शब्दकथा |
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
४७ |
केळकर, अशोक रा. |
ख्रिस्ती धर्मविषयक सामान्य शब्दावली |
परिभाषासूची |
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
५३ |
देव, विजया |
वक्ता दशसहस्रेषु |
ग्रंथपरीक्षण |
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
६३ |
|
१९९३ मधील भाषाविषयक लेखनाची सूची |
|
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
६६ |
शहा, मृणालिनी |
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
सूचना फलक |
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
७१ |
|
|
|
१२ |
१ |
हिवाळा |
१९९४ |
|
मुंडले, आशा |
वापरातून जात चाललेले शब्दप्रयोग |
संपादकीय |
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
१ |
राईलकर, मनोहर |
संख्यावाचन : एक नवीन दृष्टिकोन |
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
३ |
एडके, सुनंदा |
प्राथमिक स्तरावरील १ ते ५ इयत्तांची मराठीची पाठ्यपुस्तके |
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
८ |
खडपेकर, विनया |
बालभारती / कुमारभारती : एक अवलोकन |
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
२० |
भागवत, श्री. पु. |
संकटग्रस्त मराठी |
पुनर्भेट |
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
३१ |
|
शब्दनिष्ठा आणि विनोद |
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
४१ |
कुलकर्णी, द. भि. |
विद्यमान मराठी : एक अनागर अबोली |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
४२ |
तेलंग, विजया |
'बडुवा' आणि 'गाउ' : अर्थवेध |
शब्दकथा |
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
४६ |
केळकर, अशोक रा. |
(१) कानी पडलेला संवाद, (२) लोकशिक्षा - साद आणि प्रतिसाद |
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
४९ |
मोहिते, शरदिनी |
एक नावाचा शोध |
जाता जाता |
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
५० |
देशपांडे, गौरी |
साद आणि प्रतिसाद |
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
५४ |
|
तर्कतीर्थ लक्ष्मणशास्त्री जोशी |
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
५६ |
|
शिव्याही द्या पण मराठीत |
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
|
|
|
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
|
|
|
|
१२ |
२ |
उन्हाळा |
१९९४ |
|
देव, विजया |
संस्कृतीचं जतन |
संपादकीय |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
१ |
कानडे, मु. श्री. |
कै. गुरुवर्य डॉ. शं. गो. तुळपुळे |
|
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
३ |
भागवत, श्री. पु. |
विनोदबुद्धी आणि राजकारण |
|
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
१५ |
घाटे, वि. द. |
जिवंत मराठी |
पुनर्भेट |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
१६ |
राईलकर, मनोहर |
परिभाषा |
|
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
२२ |
बेलवलकर, सुमन |
परभाषकांसाठी तयार केलेली मराठीची पाठ्यपुस्तके - इयत्ता : ६, ७, ८ |
|
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
३६ |
केळवकर, सुप्रिया |
घरगुती भाषेसंबंधी |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
४३ |
|
'भाषण' आणि 'व्याख्यान' |
दखलपात्र |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
४६ |
रथ, विमल |
'मिस्टर' |
शब्दायन |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
४८ |
दीक्षित, श्रीनिवास |
-1- नाही, हो. माय मराठीचा अडसर नाही |
साद आणि प्रतिसाद |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
५० |
देव, विजया |
-२- गौरी देशपांडे यांच्या प्रतिसादावर खुलासा |
साद आणि प्रतिसाद |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
५३ |
भागवत, श्री. पु. |
-३- वस्तुस्थितीचा स्वीकार |
साद आणि प्रतिसाद |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
५४ |
निमकर, सुहास |
-४- भारताबद्दल दुरभिमान नको |
साद आणि प्रतिसाद |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
५५ |
|
महाराष्ट्र राज्य साहित्य आणि संस्कृती मंडळ - नवलेखक अनुदान योजना |
निवेदन |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
५७ |
|
असाही एक अनुवाद - लोकशिक्षणार्थ |
|
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
५९ |
शहा, मृणालिनी |
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
सूचना फलक |
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
६० |
|
अनुक्रम |
|
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
|
|
आम्हां घरीं धन... |
|
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
|
|
|
|
१२ |
३ |
पावसाळा |
१९९४ |
|
जोगळेकर, गं. ना. |
ज्ञानक्षेत्रातले अराजक |
संपादकीय |
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
१ |
भागवत, वा. बा. |
भाषेसंबंधी वेदातील काही विचार |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
४ |
|
सर्व भाषा, लिपी शिकविणारे 'भाषामंदिर' |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
८ |
देशपांडे, माधव |
संस्कृत आणि प्राकृत : भाषिक व सामाजिक संबंध |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
९ |
साधू, अरूण |
'सूटेबल बॉय' मराठीत आणताना |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
३३ |
संत, प्रकाश नारायण |
कानी पडलेला संवाद |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
४३ |
भोसले, द. ता. |
उच्च माध्यमिक स्तरावरील पाठ्यपुस्तके |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
४४ |
गुंडी, नीलिमा |
बोलू, तैसे लिहू |
भाषाशिक्षण |
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
५३ |
संपादक |
क्षमाप्रार्थना |
सूचना-फलक |
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
५४ |
राईलकर, मनोहर |
मराठीतील लांबलचक वाक्ये |
साद आणि प्रतिसाद |
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
५५ |
कानिटकर, यशवंत |
ग्राम्यतेतील सामर्थ्य? |
साद आणि प्रतिसाद |
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
५६ |
|
भाषा आणि जीवन : वर्ष १२, १९९४ ची सूची |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
६० |
शहा, मृणालिनी |
पत्रिकेबद्दलचे वार्षिक निवेदन |
सूचना फलक |
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
६६ |
|
लेखकाच्या शोधात साठ विषय |
सूचना फलक |
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
६७ |
|
अनुक्रम |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
|
|
दासबोध |
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
|
|
|
|
१२ |
४ |
दिवाळी |
१९९४ |
|
केळकर, अशोक रा. |
दुसरा डोळा केव्हा उघडणार? |
संपादकीय |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
१ |
राईलकर, मनोहर |
गण, गमवृत्त, गणनशास्त्र, गणित व संगणक |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
४ |
जोशी, श्रीपाद |
नावीन्य आणि प्रावीण्य |
भाषानिरीक्षण |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
१६ |
|
'आमची श्रीवाणी' जाहिरात |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
१८ |
सामंत, सत्त्वशीला |
मला उत्तर हवंय |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
१९ |
जोगळेकर, गं. ना. |
झापडबंद दृष्टिकोण नको! |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
२६ |
गुंडी, नीलिमा |
भाषिक चिन्हांचा काव्यात्म उपयोग! |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
३१ |
सहस्रबुद्धे, वर्षा |
लहान आणि मोठे |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
३२ |
अकलूजकर, विद्युल्लेखा |
शब्दसृष्टी, ईश्वर आणि रूमी |
धन परक्याचे |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
३४ |
मराठे, सुधाकर |
दोन ऑस्ट्रेलियन आदिम कविता |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
३८ |
कोल्हटकर, माधवी |
नाळ काही तुटेना |
पुनर्भेट |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
३९ |
पाठक, प्र. वि. |
चर्चासत्रांमध्ये संशोधनपर लेखांचे वाचन कसे करावे (आणि कसे करू नये) |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
४४ |
कुलकर्णी, रंगनाथ |
प्रयोगजीवी कला आणि भाषा व्यवहार |
दखलपात्र |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
५० |
माने वसुधा |
'संपूर्ण बाळकराम' बद्दल |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
५१ |
देशपांडे, निशिगंध |
भाषिक व्यवहारातील सलणारे काटेकुटे |
साद आणि प्रतिसाद |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
५३ |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन -१९९४ |
भाषा लेखनसूची |
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
५६ |
|
महाराष्ट्र राज्य साहित्य आणि संस्कृती मंडळ - नवलेखक अनुदान योजना |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
६२ |
बापट, पल्लवी |
चित्र |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
|
|
अनुक्रम |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
|
|
जाहिरात |
|
१३ |
१ |
हिवाळा |
१९९५ |
|
शहा, मृणालिनी |
संपादकीय |
संपादकीय |
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
१ |
आचार्य, माधव ना. |
संतसाहित्यातील कथनसरणी |
|
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
४ |
गुंडी, नीलिमा |
शब्दांच्या गावा जावे! |
भाषानिरीक्षण |
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
१६ |
देव, विजया |
आजचे वास्तव |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
१८ |
टिळक, नानासाहेब |
नाविक हाल |
दखलपात्र |
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
२० |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
अर्थनिर्धारणाची प्रक्रिया आणि भाषाविज्ञान |
|
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
२३ |
मोहिते, शरदिनी |
नात बोलते, हे निमित्त |
|
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
३१ |
घारे, दीपक |
अक्षरजुळणी आणि मुद्रणपद्धती |
|
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
३५ |
मोहनी, दिवाकर |
मराठीची लेखनपद्धती आणि शुद्धलेखन |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
४० |
साठे, वि. ना. |
मराठीचा मान राखा आणि इंग्लिशचे थैमान रोखा |
|
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
४४ |
संपादक |
चुकीची दुरुस्ती |
परिषद-वार्ता |
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
५० |
आवळीकर, पंडित |
'ज्ञानेश्वरकालीन मराठी भाषेवर कन्नडचा प्रभाव' : काही निरीक्षणे |
ग्रंथपरीक्षण |
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
५१ |
आपटे, पल्लवी |
चित्र |
|
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
|
|
अनुक्रम |
|
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
|
|
|
|
१३ |
२ |
उन्हाळा |
१९९५ |
|
केळकर, अशोक रा. |
नॉस्टॅल्जिया : एक कमी दाबाचा टापू |
संपादकीय |
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
१ |
|
|
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
३ |
भागवत, वा. बा. |
भाषेतील निरुक्तातील काही विचार |
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
४ |
|
एकेरी उल्लेखामागील आत्मीयता |
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
९ |
घारे, दीपक |
मुद्रणप्रत आणि मुद्रणसूचना |
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
१० |
|
|
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
१७ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
ज्ञाननिष्पत्ती, अर्थनिर्धारण आणि भाषाविज्ञान |
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
१८ |
रेगे, मेघश्याम पुंडलीक |
मराठी वैचारिक साहित्याचे स्वरूप : कालचे, आजचे आणि उद्याचे |
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
२७ |
पुंडे, दत्तात्रय |
'भाषांतरातील सर्जकता' : काही प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद |
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
३५ |
माने, वसुधा |
पांडुतात्या, बंडुनाना आणि 'मी' |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
३७ |
मुंडले, आशा |
कोणा एकाच्या कानांवर पडलेले |
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
३८ |
आचार्य, माधव ना. |
भाषणरूढीच्या जवळ जाणारा मुक्तपद्यात्मक अनुवाद |
पुस्तक-परीक्षण |
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
३९ |
आपटे, पल्लवी |
चित्र |
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
|
|
अनुक्रम |
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
|
|
|
|
१३ |
३ |
पावसाळा |
१९९५ |
|
|
पन्नासावा अंक |
संपादकीय |
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
१ |
|
|
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
४ |
बडवे, नीती |
व्हॅलन्स थिअरी : धारणाक्षमता विचार |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
५ |
घारे, दीपक |
देवनागरी मुद्राक्षरकला |
पुनर्भेट |
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
२२ |
दिब्रिटो, फ्रान्सिस |
घोड्यांबरोबर बोलायची भाषा |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
२७ |
बर्वे, श्रीराम गो. |
चित्पावनी भाषा : एक चिकित्सा |
दखलपात्र |
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
३१ |
दिब्रिटो, फ्रान्सिस |
पांडव आणि जर्मन भाषा |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
३४ |
मंचरकर, रत्नाकर बापूराव |
प्रस्तावना : सिंधी-मराठी कोशाची |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
३५ |
राईलकर, मनोहर |
भाषेच्या अध्यापनातील काही प्रयोग |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
४० |
अडोणी, दा. ल. |
भारतीय अर्थविचाराची पूर्वपीठिका |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
४६ |
दिब्रिटो, फ्रान्सिस |
संन्याशाची विचित्र मागणी |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
६२ |
बेलवलकर, सुमन |
भाषा : घरची आणि दारची |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
६३ |
गुंडी, नीलिमा |
शब्द जेव्हा कात टाकतात... |
भाषानिरीक्षण |
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
७० |
आपटे, माधवी |
मराठी भाषावैज्ञानिक लेखनातला महत्त्वाचा टप्पा |
पुस्तक-परीक्षण |
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
७१ |
क्षीरसागर, शकुंतला |
उलटाच परिणाम |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
७४ |
|
वर्ष १३, १९९५ ची लेखनसूची |
पत्रिकासूची |
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
७५ |
|
परिषद वार्ता |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
८० |
आपटे, पल्लवी |
चित्र |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
|
|
अनुक्रम |
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
|
|
|
|
१३ |
४ |
दिवाळी |
१९९५ |
|
काळे, कल्याण |
अक्कलवंताला गरज नसते |
संपादकीय |
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
१ |
|
बातमी लिहिताना - आणि वाचताना |
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
३ |
घारे, दीपक |
देवनागरी मुद्राक्षरकला - २ |
पुनर्भेट |
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
४ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
ज्ञानप्रक्रिया आणि भाषाव्यवहार |
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
१७ |
सामंत, सत्त्वशीला |
कायद्याचा अनुवाद : गरज, त्यामधील अडचणी व उपलब्ध अनुवादांचे मूल्यमापन |
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
२५ |
मराठे, सुधाकर |
आपणही भाषांतर करू शकतो |
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
३२ |
इंदापूरकर, चं. द. |
ज्ञानेश्वरांचे पसायदान : एक शैलीवैज्ञानिक अभ्यास |
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
३८ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
-१ - व्हॅलन्स थिअरी : एक प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद |
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
५१ |
मोहनी, दिवाकर पुरुषोत्तम |
-२ - झापड कोणाच्या डोळ्यावर आहे? |
साद आणि प्रतिसाद |
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
५४ |
|
महामराठी |
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
६२ |
रानडे, उषा |
भाषा शिकवण्याचा एक धाडसी प्रयोग |
पुस्तकपरीक्षण |
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
६३ |
|
कानी पडलेला संवाद : समीक्षक कसा असावा? |
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
६६ |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन : १९९५ |
भाषालेखनसूची |
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
६७ |
|
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
७२ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
|
|
अनुक्रम |
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
|
|
|
|
१४ |
१ |
हिवाळा |
१९९६ |
|
काळे, कल्याण |
वेड लागलेलं घर |
संपादकीय |
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
१ |
|
राजकारणाचा प्रभाव |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
४ |
आचार्य, माधव ना. |
कथन - ज्ञानदेवांचे |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
५ |
|
सरकारी भाषांतराचा (आणखीन एक) नमुना : |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
२५ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
अर्थव्यक्ती, अर्थपूर्णत्व आण भाषाशिक्षकाचे प्रश्न |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
२६ |
जोशी, श्रीपाद |
एका शब्दाचा पाठलाग! |
शब्दायन |
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
३७ |
|
साक्षरता |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
४६ |
विमल, श्याम |
पुणे सोडताना - परतीचा प्रवास |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
४७ |
|
शब्दकोश आणि घड्याळ |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
४९ |
गोडबोले, ऋचा |
एक भाषिक खेळ |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
५० |
|
एक संज्ञापन-कर्तव्य |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
५१ |
करंदीकर, विं. दा. |
पुनर्भेट |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
५२ |
गवांदे, राजाभाऊ |
ग्राम्यतेतील सामर्थ्याच्या निमित्ताने |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
५३ |
टिळक, रत्नावली ना. |
वेळ वाया घालवण्याचा प्रकार |
साद आणि प्रतिसाद |
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
५८ |
टिळक, विद्यागौरी |
अव्यवहार्य विचार |
साद आणि प्रतिसाद |
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
५९ |
राईलकर, मनोहर |
भाषाभाषांतील उच्चारण-संकेत |
साद आणि प्रतिसाद |
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
६० |
बेलवलकर, सुमन |
एक उपयुक्त पुस्तक |
पुस्तकपरीक्षण |
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
६३ |
बेलवलकर, सुमन |
सांस्कृतिक गरजा लक्षात घेऊन लिहिलेले भाषाध्यापन पुस्तक |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
६६ |
|
महाराष्ट्र राज्य साहित्य आणि संस्कृती मंडळ - नवलेखक अनुदान योजना |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
७१ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
|
|
अनुक्रम |
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
|
|
|
|
१४ |
२ |
उन्हाळा |
१९९६ |
|
मुंडले, आशा |
जगात मराठीचा प्रभाव |
संपादकीय |
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
१ |
अनंतमूर्ती, उडुपी रा. |
इये भारती लेखनी कळा |
|
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
७ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
पदबंधविचार : स्वरूप, अंतःशिक्षा आणि त्यांचे प्रमाणन |
|
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
२५ |
बेन्यामिन व्हाल्टर |
'भाषांतरकाराचे कर्तव्य आणि उत्तरदायित्व' : शर्ल बोदलेरच्या 'ताब्लो परिझियाँ' च्या जर्मन भाषांतराची प्रस्तावना' |
धन परक्याचे |
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
३८ |
भंडारी, शांतिलाल |
दूरचित्रवाणी : भोगवट्यासाठी की शिणवठ्यासाठी? |
पुनर्भेट |
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
४६ |
माने, वसुधा |
सामान्य माणसाच्या दृष्टिकोनातून मराठी भाषेचा अभ्यास |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
५१ |
आवळीकर, पंडित |
'वारी' आणि 'दिंडी' : नवीन काही |
शब्दायन |
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
५३ |
|
व्याख्या |
|
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
५४ |
धडफळे, मोहन |
शैलीशास्त्रज्ञ भामह : एक कसदार संशोधन |
पुस्तकपरीक्षण |
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
५५ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
|
|
अनुक्रम |
|
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
|
|
|
|
१४ |
३ |
पावसाळा |
१९९६ |
|
केळकर, अशोक रा. |
पुसलेली अवतरणचिन्हं |
संपादकीय |
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
१ |
|
राखीव संज्ञा |
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
५ |
आचार्य, माधव ना. |
कथन - एकनाथांचे |
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
६ |
पुंडलीक, शैलेश |
भाषेची यदृच्छता |
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
२१ |
|
|
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
३३ |
बेन्यामिन व्हाल्टर |
'भाषांतरकाराचे कर्तव्य आणि उत्तरदायित्व' : शर्ल बोदलेरच्या 'ताब्लो परिझियाँ' च्या जर्मन भाषांतराची प्रस्तावना' |
धन परक्याचे |
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
३४ |
बेडेकर, दि. के. |
भाषेतील निषिद्धता |
पुनर्भेट |
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
४३ |
|
लेणी |
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
५४ |
खडपेकर, श्रीकृष्ण |
'भाषा आणि जीवन' चे मुखपृष्ठ |
साद आणि प्रतिसाद |
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
५५ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
दोन पत्रे |
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
६० |
गुंडी, नीलिमा |
शब्दांचं स्मशान |
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
६१ |
सामंत, सत्त्वशीला |
'धुरिण', की 'धुरीण'? |
शब्दायन |
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
६२ |
गुंडी, नीलिमा |
शब्द : एक अस्त्र |
भाषानिरीक्षण |
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
६४ |
|
प्राधान्यक्रमांची गल्लत, सदोष ध्येयस्थापना |
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
६५ |
भाटे, सरोजा |
प्रसन्न शैलीतील शास्त्रगहन चर्चा |
पुस्तकपरीक्षण |
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
६६ |
|
वर्ष १४, १९९६ ची लेखनसूची |
पत्रिकासूची |
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
७५ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
|
|
अनुक्रम |
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
|
|
|
|
१४ |
४ |
दिवाळी |
१९९६ |
|
देव, विजया |
भाषा आणि करमणूक |
संपादकीय |
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
१ |
बर्वे, उज्ज्वला |
सुप्रि-या! सुप्रि-जा! |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
३ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
संदिग्धतेचे प्रकार, कारणे आणि निःसंदिग्धीकरण |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
४ |
क्षीरे, सुधा |
डॉक्टर-रुग्ण संवाद |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
२७ |
|
काही सुभाषिते |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
३४ |
जोशी, वसंत स. |
'मऱ्हाटी संस्कृती : काही समस्या' |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
३५ |
कुलकर्णी, द. भि. |
नृत्यविन्मुख - ग्रंथविन्मुख |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
४५ |
ऑडन, विस्टन ह्यू |
लेखन |
धन परक्याचे |
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
४६ |
चव्हाण, यशवंतराव |
भाषा संपन्न कशी होते? |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
५९ |
ऑडन, विस्टन ह्यू |
कादंबरीकार |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६० |
साने, गीता |
शिक्षणात मातृभाषाच का असावी? |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६० |
जोशी, श्रीपाद |
साजिंदा व बाजिंदा |
शब्दायन |
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६१ |
केळकर, अशोक रा. |
अजब प्रेमपत्र |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६२ |
कुलकर्णी द. भि. |
ज्याची त्याची प्रचीती : भुसावळ |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६३ |
भागवत, स. ज. |
सत्य |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६४ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
लेणे, की लेणी? |
साद आणि प्रतिसाद |
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६५ |
देशपांडे, माधव मुरलीधर |
लौकिक व्यवहारातील संस्कृत |
|
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६६ |
|
मराठीतील भाषाविषयक लेखन : १९९६ |
भाषा लेखनसूची |
१५ |
२ |
हिवाळा |
१९९७ |
६७ |
शहा, मृणालिनी |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
१५ |
१ |
हिवाळा |
१९९७ |
७२ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१५ |
१ |
हिवाळा |
१९९७ |
|
|
अनुक्रम |
|
१५ |
१ |
हिवाळा |
१९९७ |
|
|
|
|
१५ |
१ |
हिवाळा |
१९९७ |
|
|
|
|
१५ |
१ |
हिवाळा |
१९९७ |
|
शहा, मृणालिनी |
जातीची चिवट भाषा |
संपादकीय |
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
१ |
राजाध्यक्ष, मं. वि. |
संस्कृत देवांची, इंग्रजी भूदेवांची, मराठी कोणाची? |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
५ |
मालशे, मिलिंद स. |
इंग्लिशमधील कोशवाङ्मय |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
६ |
मोडक, ताराबाई |
शिव्यागाळी |
पुनर्भेट |
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
३५ |
राजाध्यक्ष, मं. वि. |
केशवसुत आणि इंग्रजी |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
४२ |
सहस्रबुद्धे, वर्षा |
साहित्याशी मैत्रीच्या वाटेवर |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
४३ |
सार्वेकर, कैलास |
खानदेशातील बोली आणि बहिणाबाई चौधरींची काव्यभाषा |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
४५ |
राजाध्यक्ष, मं. वि. |
शब्दबाजीवर उतारा |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
५१ |
सामंत, सत्त्वशीला |
उच्चारण-संकेत आणि लेखन-संकेत यांचा ताळमेळ |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
५२ |
राजाध्यक्ष, मं. वि. |
भाषिक सासुरवास |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
५६ |
भाटे, सरोजा |
भाषा राजनीतीची |
ज्याची त्याची प्रचीती १ |
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
५७ |
शेजाळ, केशवराव |
मराठी लिपीतील काही अक्षरांत व जोडाक्षरांत बदल |
ज्याची त्याची प्रचीती २ |
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
५८ |
राजाध्यक्ष, मं. वि. |
विशेषणबाजी |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
६० |
राईलकर, मनोहर |
आग रामेश्वरी बंब सोमेश्वरी |
साद आणि प्रतिसाद १ |
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
६१ |
क्षीरसागर, हेमा |
अभ्यासाचा एक वेगळाच पैलू |
साद आणि प्रतिसाद २ |
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
६२ |
पुंडलीक, शौलेश सदाशिव |
एका विलक्षण भाषावैज्ञानिकाचे मुक्त (आणि बद्धसुद्धा) भाषाचिंतन |
पुस्तकपरीक्षण |
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
६४ |
राजाध्यक्ष, मं. वि. |
सुसुन्दरीच्या सुसरी गळ्यात |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
७२ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
|
|
अनुक्रम |
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
|
|
|
|
१५ |
२ |
उन्हाळा |
१९९७ |
|
जोगळेकर, गं. ना. |
हे वळण कुठले? |
संपादकीय |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
१ |
भागवत, वा. बा. |
प्राचीन शिक्षण-पद्धतीतील खाचखळगे |
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
५ |
|
ओलीस |
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
९ |
दांडेकर, गो. नी. |
सिद्धानुवाद - अनुभवामृत |
पुनर्भेट |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
१० |
करंदीकर, विंदा |
संत ज्ञानेश्वरांचा अमृतानुभव : विंदा करंदीकरांची प्रतिक्रिया |
पुनर्भेट |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
१९ |
गुंडी, नीलिमा |
कवितेतील भाषा-व्यवस्थेशी निगडित प्रतिमासृष्टी |
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
२७ |
|
संस्कृत व्याकरणातील अनियमितपणा |
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
३२ |
पाटील, वसंत |
कवींचे निरंकुशत्व |
साद आणि प्रतिसाद १ |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
३३ |
केळकर, अशोक रा. |
कवींचे निरंकुशत्व : काही प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद २ |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
३७ |
खेर, शर्मिष्ठा |
मराठी इंग्रजी संयुक्त पेपर |
साद आणि प्रतिसाद ३ |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
३९ |
कोल्हटकर, माधवी |
वेद आणि मुठीत? |
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
४१ |
तेलंग, विजया |
काही कन्नड उच्चारप्रवृत्ती |
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
४४ |
मालशे, मिलिंद |
भाषांतर |
धन परक्याचे |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
४६ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
पाणिनीची मातृभाषा : काही उत्तरांचा शोध |
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
४७ |
राईलकर, मनोहर |
तीन पायांची बाई |
भाषायण |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
५८ |
देशपांडे, ब्रह्मानंद |
मालखंड आणि ओथंबा |
शब्दायन |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
६३ |
टिळक, विद्यागौरी |
अनुवाद, की अनुवादाचे विडंबन |
पुस्तकपरीक्षण |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
६७ |
|
चुकीची दुरुस्ती |
सूचना-फलक |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
७२ |
|
महाबँक पारितोषिक १९९७ |
परिषद-वार्ता |
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
७२ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
|
|
अनुक्रम |
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
|
|
|
|
१५ |
३ |
पावसाळा |
१९९७ |
|
|
लिहायचं तरी कशासाठी? |
संपादकीय |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
१ |
|
|
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
४ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
रूपक आणि रूपितांग : अर्थांतरणाची प्रक्रिया |
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
५ |
पांडे, भारती |
सूत्रसंचालन - एक टाळणे |
जाता जाता |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
२५ |
पोतदार, दत्तो वामन |
भाषा हाच प्रगतीचा पाया |
पुनर्भेट |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
२९ |
अर्जुनवाडकर, लीला |
मधाच्या घागरीच्या निमित्ताने |
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
३५ |
टिळक, |
स्वभाषा आणि परकीय शब्द |
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
४० |
लोंढे, लक्ष्मण |
धर्मजीवन आणि मातृभाषा |
दखलपात्र |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
४१ |
गुंडी, नीलिमा |
वाढता वाढता वाढे. . . .! |
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
४४ |
|
जहाल जपानी |
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
४५ |
पित्रे, का. ग. |
गनिमी कावा - काही समज व गैरसमज |
अर्थायन |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
४६ |
|
षट्क |
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
५० |
देशपांडे, गौरी |
राजमा, कंगाल आणि गुलबकावली |
साद आणि प्रतिसाद १ |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
५१ |
राईलकर, मनोहर |
वृत्तांच्या गणीती शक्यता |
साद आणि प्रतिसाद ३ |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
५२ |
|
राजमा म्हणजे श्रावण घेवडा |
साद आणि प्रतिसाद २ |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
५२ |
बडवे, नीती |
प्रतिक्रियेवरची प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद ४ |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
५७ |
राईलकर, मनोहर |
नाविक हाल (एक प्रतिसाद) |
साद आणि प्रतिसाद ५ |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
५९ |
आचार्य, माधव ना. |
शास्त्रीय लेखनातील शैथिल्य |
ग्रंथपरीक्षण |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
६१ |
|
वर्ष १५, १९९७ ची लेखनसूची |
पत्रिकासूची |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
७४ |
बेलवलकर, सुमन |
|
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
८१ |
|
मराठी अभ्यास परिषद आणि 'भाषा आणि जीवन' - पत्रिका : एक स्थित्यंतर |
सूचना-फलक |
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
८३ |
|
गुलाबा कुल्ता |
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
८४ |
देशपांडे, श्याम |
|
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
|
|
अनुक्रम |
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
|
|
|
|
१५ |
४ |
दिवाळी |
१९९७ |
|
देव, विजया |
गोष्ट सांगू म्हणता? |
संपादकीय |
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
१ |
जोग, जयश्री |
कर्णबधिरांची भाषा आणि शिक्षण |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
४ |
नाडकर्णी, सुरेश |
डॉक्टर-रुग्ण संवाद. . . .जीवनमरण निगडित प्रश्न! |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
१४ |
|
मराठी भाषेची प्रार्थना |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
१७ |
कुलकर्णी, अलका |
डॉक्टर-रुग्ण संवाद |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
१८ |
गाडगीळ, गंगाधर |
मराठी भाषा जगवायची असेल |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
२३ |
|
|
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
३९ |
सोहोनी, लीना |
अनुवाद : एक कला |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
४० |
शहा, मृणालिनी |
नाते अक्षरांशी |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
४८ |
देशपांडे, गौरी |
वोथंबा आणि षट्क |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
५० |
देशपांडे, गौरी |
भाषांतर एका सुवचनाचे |
साद आणि प्रतिसाद |
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
५१ |
|
आदिवासी विद्यार्थ्यांमधील भाषिक न्यूनगंड : वास्तव आणि उपाय |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
५२ |
देव, जयंत |
बोली आणि वाहतुकीचं साधन |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
६० |
यार्दी, मानसी अ. |
गोष्ट फिल्टर होऊन येते |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
६१ |
देव, विजया |
विद्यार्थ्यांचा सखा : शालेय शब्दकोश |
ग्रंथपरीक्षण |
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
६२ |
|
मराठी अभ्यास परिषद आणि 'भाषा आणि जीवन' - पत्रिका : एक स्थित्यंतर |
सूचना-फलक |
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
६७ |
खेर, शर्मिष्ठा |
|
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
६९ |
जोशी, र. कृ. |
|
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
|
|
अनुक्रम |
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
|
|
|
|
१६ |
१ |
हिवाळा |
१९९८ |
|
शहा, मृणालिनी |
भाषेशी घसट - चांगल्या अर्थाने |
संपादकीय |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
१ |
|
(आचार्य अत्रे ह्यांनी केलेली मराठी माणसाची व्याख्या |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
३ |
केळकर, अशोक रा. |
मराठी माणसाच्या भाषिक गरजा : एक चार कलमी योजना |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
४ |
जोशी, ना. या. |
माझा मराठाचि बोलू.... |
दखलपात्र |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
१० |
इनामदार, हे. वि. |
शुद्धलेखनविषयक एक सुखद स्मृती |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
१७ |
आवळीकर, पंडित |
भवभूतीसंबंधी काही नवीन |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
१९ |
गुंडी, नीलिमा |
भाषा आणि उत्क्रांती |
भाषानिरीक्षण |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
२८ |
निंबकर, जाई |
|
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
२९ |
केळकर, अशोक रा. |
चर्चा |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
३० |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
बहुमानार्थी बहुवचन |
शंका आणि समाधान |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
३० |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
हिंदी साहित्य आणि पत्रकारिता यांच्यातील नाते |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
३४ |
सार्वेकर, कैलास |
आदिवासी विद्यार्थ्यांमधील भाषिक न्यूनगंड : काही प्रतिक्रिया |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
३७ |
सामंत, सत्त्वशीला |
पंचेंद्रियांसी श्रुतीही रिघाल्या |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
४४ |
देव, विजया |
|
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
४५ |
भावे, ह. अ. |
शब्दकोड्यांची जन्मकथा |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
४६ |
आजगावकर, गोपाळ |
आजचे वाक्प्रचार |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
४७ |
देशपांडे, गौरी |
भाषांतर - मीमांसा : स्वागतार्ह, संग्राह्य आणि समयोचित |
पुस्तकपरीक्षण |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
४८ |
संपादक |
|
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
५१ |
शहा, मृणालिनी |
म्हणी : अनुभवांचे वेचक मोती |
पुस्तकपरीक्षण |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
५२ |
शहा, मृणालिनी |
१ पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
५४ |
नाडकर्णी, सुरेश |
|
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
५५ |
वैद्य, सरोजिनी |
२ दलित-ग्रामीण साहित्य शब्दकोश व साहित्य सूची |
सूचना-फलक |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
५५ |
|
|
परिषद-वार्ता |
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
५६ |
जोशी, र. कृ. |
|
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
|
|
अनुक्रम |
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
|
|
|
|
१६ |
२ |
उन्हाळा |
१९९८ |
|
जोगळेकर, गं. ना. |
हिंदीचे काय करायचे? |
संपादकीय |
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
१ |
श्यामविमल |
शिक्षण की शिक्षा? |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
५ |
गानू, अविनाश |
वाटचाल 'कॉपीराईट' ची |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
६ |
आवळीकर, पंडित |
रे गालिब |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
१८ |
नाडकर्णी, सुरेश |
गालिब - एक प्रज्ञावं शायर |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
१९ |
मुंडले, आशा |
मराठीचे चांगभले |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
२६ |
यार्दी, मानसी अ. |
गुणिले म्हणजे जन्मले! |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
२८ |
सामंत, सत्त्वशीला |
भाषाविज्ञानाचे एक नमुनेदार उपयोजन |
पुस्तकपरीक्षण |
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
२९ |
|
परिषदवार्ता |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
४० |
गुंडी, नीलिमा |
छोट्यांसाठी पाच सचित्र पुस्तिका |
पुस्तकपरीक्षण |
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
४१ |
मुजुमदार, गो. गो. |
महाराष्ट्र माउली |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
४४ |
गाडगीळ, गंगाधर |
कुंदाची भाषाशैली |
पुनर्भेट |
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
४५ |
|
|
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
५१ |
गुंडी, नीलिमा |
'झरोका' |
भाषानिरीक्षण |
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
५२ |
|
|
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
५६ |
जोशी, र. कृ. |
|
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
|
|
अनुक्रम |
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
|
|
|
|
१६ |
३ |
पावसाळा |
१९९८ |
|
केळकर, अशोक रा. |
मुलाखत : एक देणेघेणे |
संपादकीय |
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
१ |
|
|
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
७ |
बडवे, नीती |
भाषिक संज्ञापन |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
८ |
|
भेट-मुलाखतीचे नवीन खूळ |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
१३ |
केळशीकर, शं. हि. |
शब्द-साध्य मानसोपचार |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
१४ |
पाटणकर, जयश्री |
संकलित लेखांचे फलित |
पुस्तकपरीक्षण |
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
२५ |
देशपांडे, ब्रह्मानंद |
चतःपथिचे गणेश |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
२९ |
|
भेट-मुलाखत म्हणजे ऐतिहासिक दस्तऐवज |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
३२ |
देशपांडे, ब्रह्मानंद |
शिवमुष्टिगंडू |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
३३ |
आवळीकर, पंडित |
'बोल्होबा' : एक शक्यता |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
३५ |
धडफळे, मो. गो. |
'साहित्य' या संज्ञेचा मूळ अर्थ |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
३६ |
पई, पुष्पा |
घाई घाई घाई |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
४२ |
गुंडी, नीलिमा |
यशवंतांच्या 'आई' कवितेतील परिष्करण |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
४३ |
काळे, कल्याण |
पाण्यामध्ये मासा झोप घेई कैसा? |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
४६ |
मुंडले, आशा |
सदस्यवार्ता |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
४८ |
मेहेंदळे, म. अ. |
डॉ. सुमित्र मंगेश कत्रे - डेक्कन कॉलेज रिसर्च इन्स्टिट्यूटचे यशस्वी संचालक |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
४९ |
केळकर, अशोक रा. |
प्रा. सु. मं. कत्रे |
व्यक्तिपरिचय |
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
५७ |
तेलंग, विजया |
'सुंटदेव' म्हणजे काय? |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
६४ |
तावरे, स्नेहल |
तेच ते... |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
६६ |
|
मराठी अभ्यास परिषद पत्रिका : 'भाषा आणि जीवन' - वर्ष १६, १९९८ ची सूची |
पत्रिकासूची |
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
६७ |
जोशी, र. कृ. |
|
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
|
|
अनुक्रम |
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
|
|
|
|
१६ |
४ |
दिवाळी |
१९९८ |
|
देव, विजया |
भाषेची आडवळणे |
संपादकीय |
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
१ |
राईलकर, मनोहर |
गणिताची भाषा - (लेखांक १) |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
४ |
अडोणी दा. ल. |
दोन चांगले जाणकार : तज्ज्ञ व विज्ञ |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
१६ |
घाटे, वि. द. |
स्वप्न साकार झाले! |
पुनर्भेट |
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
१९ |
काळे, कल्याण |
व्याकरण शिकल्यानं भाषा येते का? |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
२२ |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
अध्ययन, अध्यापन आणि भाषिक माध्यम - एक मुलाखत |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
२५ |
बडवे, नीती |
'संक्षिप्त मराठी वाङ्मय कोशा' संबंधी |
पुस्तकपरीक्षण |
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
३० |
बुलासा, मोती |
|
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
३७ |
|
|
परिषद-वार्ता |
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
३८ |
साधू, अरुण |
वृत्तपत्रांतील आणि प्रसारमाध्यमांतील मराठी भाषेचे जतन आणि संवर्धन |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
३९ |
धाक्रस, पुरुषोत्तम |
भाषेच्या अराजकातून फेरफटका |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
४० |
|
प्रकृती भाषेची व पत्रकाराची |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
६० |
|
वि. द. घाटे एक आठवण |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
६४ |
वैद्य, आनंद |
चित्र |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
|
|
अनुक्रम |
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
|
|
|
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
|
|
|
|
१७ |
१ |
हिवाळा |
१९९९ |
|
गुंडी, नीलिमा |
भाषेचे अभिसरण - एक आव्हान |
संपादकीय |
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
१ |
|
राजाराणीच्या देशात |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
३ |
संगोराम, श्रीरंग |
कन्नड-मराठी अनुबंध : काही उपपत्ती |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
४ |
काळे, कल्याण |
विविध स्तरांवरील भिन्न मराठी |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
१४ |
बागूल, देवीदास |
भाषेचे दालित्य |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
२१ |
|
नाव |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
२३ |
बिय, कोरिना |
आंधळं पोर |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
२४ |
पंडित, चिं. मो. |
मूर्तातून अमूर्त की अमूर्तातून मूर्त? |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
३३ |
आवळीकर, पंडित |
पुश्किन : 'सर्व प्रारंभांचा प्रारंभ' |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
३५ |
थत्ते, सुधीर |
भूतदयेचा परिणाम |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
३८ |
राईलकर, मनोहर |
गणिताची भाषा - (लेखांक २) |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
३९ |
देशपांडे, ब्रह्मानंद |
'निवडक भाषा आणि जीवन' - काही विचार |
साद आणि प्रतिसाद |
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
५३ |
बोडस, शरद कृष्णाजी |
शेवटी येणारे पहिले गाव |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
५७ |
खरे, नंदा |
मराठी विज्ञानपुस्तिका - स्वागतार्ह सुरुवात |
पुस्तकपरीक्षण |
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
५८ |
केळकर, अशोक रा. |
पंड्यांची भाषा : मुक्काम वाराणसी, दिल्ली, संयुक्त राष्ट्रसंघ |
दखलपात्र |
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
६१ |
शहा, मृणालिनी |
१. पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना-फलक |
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
६२ |
|
२. वार्षिक सर्वसाधारण सभा |
सूचना-फलक |
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
६२ |
भोसले, शिवाजीराव |
कथा वक्तृत्वाची |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
६३ |
|
आईचे अज्ञान |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
६४ |
वैद्य, आनंद |
चित्र |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
|
|
अनुक्रम |
|
१७ |
२ |
उन्हाळा |
१९९९ |
|
जोगळेकर, गं. ना. |
एकविसावे शतक, तिसरे सहस्रक आणि संगणकीय पेच |
संपादकीय |
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
१ |
जोगळेकर, गं. ना. |
कालवाचक शब्दांचे अर्थ |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
५ |
माहुलकर, दिनेश द. |
वृद्धिः - भाषेचे आणि भाषाभ्यासाचे विकसन |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
६ |
राईलकर, मनोहर |
गणिताची भाषा - (लेखांक ३) |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
१४ |
|
शिवाजी आणि स्वभाषा |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
३१ |
मेहेंदळे, म. अ. |
पंचास्य, प्रपंच आणि सिंह |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
३२ |
गुंडी, नीलिमा |
"एक, दोन, साडेमाडे -- तीन. . ." |
भाषानिरीक्षण |
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
३७ |
परांजपे, सुचेता |
नवरा एके नवरा, नवरा दुणे. . . |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
३९ |
सामंत, सत्त्वशीला |
अजयो--यम् अजेयाकारो. . . |
शब्दायन |
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
४० |
मोहनी, दिवाकर पुरुषोत्तम |
समस्त मराठीभाषाप्रेमींना अनावृत पत्र |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
४२ |
पाटणकर, जयश्री |
भाषासंस्काराचे प्रयत्न |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
४७ |
परांजपे, सुचेता |
अशी ही फसगत |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
४९ |
|
।। करपल्लवी भाषा ।। |
दखलपात्र |
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
५० |
रायकर, यशवंत |
हा शोध भारताचा |
पुनर्भेट |
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
५२ |
|
चित्र - आर्यांचे मूलस्थान आणि स्थलांतर |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
५६ |
खरे, नंदा |
तंत्रशहा आणि तंत्र (दीड) शहाणे! |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
५७ |
वैद्य, आनंद |
चित्र |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
|
|
अनुक्रम |
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
|
|
|
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
|
|
|
|
१७ |
३ |
पावसाळा |
१९९९ |
|
देव, विजया |
भाषेपुढील नवी आव्हाने |
संपादकीय |
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
१ |
भवाळकर, तारा |
लोकपरंपरेतील वाग्युद्धे |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
३ |
देव, सदाशिव गजानन |
संदर्भसाहित्य - विविधता आणि वाटा |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
८ |
जावरे, अनिकेत |
अक्षरभेद परिचय |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
२२ |
पुंडे, दत्तात्रय |
विविध अभ्यासक्रमांतील मराठीचे स्थान |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
२७ |
धडफळे, मो. गो. |
चन्द्र, गवत व झरतुष्ट्र |
शब्दायन |
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
४० |
परांजपे, सुचेता |
ग्रंथ हेच अपत्य |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
४३ |
कोल्हटकर, माधवी |
भाषा वेदांची आणि आजची |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
४४ |
पाटील, श्रीकांत |
डिस्टीक, मिल डायरी अन् आडवं बुक! |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
५० |
धारासूकर, राम |
"व र वा" |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
५२ |
काळे, कल्याण |
प्राचीन मराठी भाषेचा सर्वांगसुंदर कोश |
पुस्तकपरीक्षण |
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
५३ |
पाळंदे, पु. स. |
मुलाखतीची तयारी |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
६२ |
परांजपे, सुचेता |
|
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
६४ |
मेहेंदळे, म. अ. |
पदवीदान की पदवीप्रदान? |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
६५ |
नवाथे भैरवी |
खोडलेल्या 'छान' बद्दल |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
६७ |
महाजन, राजा |
अहिराणी ही मराठीपेक्षा प्राचीन व स्वतंत्र बोली |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
६९ |
काळे, कल्याण |
आधी व्याकरण की आधी भाषा? |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
७० |
|
साद-प्रतिसाद |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
७३ |
चिपळूणकर, विष्णुशास्त्री |
भाषेच्या रचनेत यत्किंचितही अपाय नको |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
७५ |
शहा, मृणालिनी |
निवेदन : संदेशवाक्य स्पर्धा |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
७६ |
|
भाषा आणि जीवन, वर्ष १७, १९९९ ची सूची |
पत्रिकासूची |
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
७७ |
वैद्य, आनंद |
चित्र |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
|
|
अनुक्रम |
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
|
|
|
|
१७ |
४ |
दिवाळी |
१९९९ |
|
सोमण, अंजली |
एका उपयुक्त उपक्रमाची मृत्युघंटा? |
संपादकीय |
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
१ |
मेहेंदळे, म. अ. |
मराठीतील काही फारसी शब्दांचा संस्कृतशी संबंध |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
५ |
रायकर, यशवंत |
|
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
१३ |
धडफळे, मो. गो. |
आंग्ल 'आर्ट' व संस्कृत 'कला' |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
१४ |
पेठे, प्रकाश |
धमधोकार |
शब्दायन |
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
१७ |
आचार्य, माधव ना. |
'व्याकरणशुद्ध लेखनप्रणाली' |
पुस्तक-परीक्षण |
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
२० |
परांजपे, सुचेता |
|
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
३४ |
मेहेंदळे, नीता |
परभाषा - आली अंगावर अन्.... |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
३५ |
गोखले, द. न. |
प्रमाण मराठीच्या भवितव्याविषयी |
साद-प्रतिसाद |
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
३७ |
गुंडी, नीलिमा |
भाषाविषयक लेखनाची सूची (१९९७ ते १९९९) |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
४५ |
कर्णिक, हेमंत |
नावात बरंच काही असतं |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
४८ |
आचार्य, माधव ना. |
'गुरुसंज्ञा वक्ररेखा' |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
५२ |
रायकर, यशवंत |
|
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
५५ |
|
परिषदवार्ता |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
५६ |
|
अनुक्रम |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
|
|
चित्र |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
|
|
चित्र : 'जॉन गटेनबर्ग शुभेच्छापत्रां'मधील चित्रावरून |
|
१८ |
१ |
हिवाळा |
२००० |
|
शहा, मृणालिनी |
अनुभवांच्या खाणी |
संपादकीय |
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
१ |
केळकर, अशोक रा. |
भाषेचे जागतिकीकरण आणि जागितिकीकरणाची भाषा |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
५ |
बडवे, नीती |
इंग्रजी - केव्हा? किती? कसं? |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
१३ |
आचार्य, परमेश |
इंग्रजी कोणत्या वयापासून? |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
१८ |
शहा, मृणालिनी |
पहिलीपासून इंग्रजी : चर्चासत्र |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
२४ |
आचार्य, माधव ना. |
'ध्वनिताचें केणें' |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
३१ |
लेले, वामन केशव |
शैलीदार नाटककार कालिदास |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
३८ |
देशपांडे, बह्मानंद |
प्राचीन मराठी शब्दकोश - काही निरीक्षणे |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
४८ |
|
शब्द आणि अर्थ |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
५५ |
प्रधान, ग. प्र. |
मराठी भाषेच्या विविध छटांचे मनोज्ञ दर्शन घडविणारा लेखसंग्रह - 'बोलभाषा' |
पुस्तक-परीक्षण |
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
५६ |
|
अनुक्रम |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
|
|
चित्र |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
|
|
चित्र : 'जॉन गटेनबर्ग शुभेच्छापत्रां'मधील चित्रावरून |
|
१८ |
२ |
उन्हाळा |
२००० |
|
देव, विजया |
चिंता करितो भाषेची |
संपादकीय |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
१ |
संपादक |
चुकीची दुरुस्ती |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
३ |
कामत, मृणालिनी |
ऐसा अस्तु गेला माझारिचि । आयुष्यभाक |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
४ |
देव, विजया |
कानी पडलेला संवाद |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
१० |
वष्ट, जयंत |
डॉ. द. न. गोखले यांचा भाषाविवेक |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
११ |
सामंत, सत्त्वशीला |
मराठी लेखनाची 'दूरावस्था' |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
१६ |
रानडे, शुभांगी |
संगणकासाठी मराठी - काळाची गरज |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
२८ |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
भाषावधान |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
३२ |
यशश्चंद्र, सितांशु |
भाषा |
वसा आंतरभारतीचा |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
३३ |
खेर, अंजनी |
भाषा - आपली सर्वांचीच |
पुस्तक-परीक्षण |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
४१ |
सहस्रबुद्धे, वर्षा |
"ओळखेल तो चतुर शहाणा…" |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
४४ |
मिरजकर, निशिकांत |
अभ्यासक्रमात मराठी : अज्ञानमूलक विधाने |
साद-प्रतिसाद - १ |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
४५ |
देव, विजया |
अभ्यासक्रमात मराठी : माझा अनुभव |
साद-प्रतिसाद - २ |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
४७ |
सामंत, सत्त्वशीला |
व्याकरणशुद्ध लेखनप्रणाली |
साद-प्रतिसाद - ३ |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
४९ |
आचार्य, माधव ना. |
पुन्हा एकदा व्याकरणाविषयी थोडेसे- |
साद-प्रतिसाद - ४ |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
५४ |
गुंडी, नीलिमा |
मराठी अभ्यास परिषद - चौथ्या वार्षिक सर्वसाधारण सभेचे इतिवृत्त |
परिषद-वार्ता |
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
५६ |
|
प्रश्नाचं उत्तर असावं तर असं |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
५७ |
|
: आवाहन : |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
५८ |
|
अनुक्रम |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
|
|
चित्र : 'जॉन गटेनबर्ग शुभेच्छापत्रां'मधील चित्रावरून |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
|
|
मराठी वाचा मराठी वाचवा |
|
१८ |
३ |
पावसाळा |
२००० |
|
देव, विजया |
अर्थ जुने : भाषासंदर्भ नवे |
संपादकीय |
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
१ |
शहा, मृणालिनी |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना फलक |
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
४ |
प्रभुदेसाई, वि. बा. |
गोव्याची राजभाषा कोकणी की मराठी? |
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
५ |
सारंग, विलास |
मातृभाषा, परभाषा |
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
१९ |
मेहेंदळे, म. अ. |
'वृद्धि : ..' - भाषेचे आणि भाषाभ्यासाचे विकसन |
पुस्तक-परीक्षण |
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
२३ |
काशीकर, चिं. ग. |
चरित्र व आठवणी |
पुस्तक-परीक्षण |
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
४४ |
|
(१) मराठीत अक्षरक्रम देण्याची पद्धत (२) विषय येईना माध्यम वाकडं! |
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
४५ |
|
भाषाविवेक |
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
४६ |
मोहनी, दिवाकर |
शुद्धलेखन |
साद-प्रतिसाद |
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
४७ |
|
वर्ष १८, २... ची लेखन सूची |
पत्रिका सूची |
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
५३ |
|
|
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
५६ |
|
|
सूचना फलक |
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
५७ |
|
|
परिषद-वार्ता |
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
५८ |
|
अनुक्रम |
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
|
|
इंग्रजीची खिडकी, मराठीचे डोळे |
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
|
|
चित्र : 'जॉन गटेनबर्ग शुभेच्छापत्रां'मधील चित्रावरून |
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
|
|
|
|
१८ |
४ |
दिवाळी |
२००० |
|
जोगळेकर, गं. ना. |
मराठी बिघडविण्याचा 'आकाश (वाणी) मार्ग' |
संपादकीय |
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
१ |
|
|
|
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
६ |
महंती, पंचानन |
भारतीय भाषांमधील इतर मामा : एक शोध |
|
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
७ |
कानिटकर, य. शं. |
लोकमान्य टिळक यांचा भाषाविचार |
भाषाविचार |
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
२४ |
यार्दी, अ. रा. |
'संगणकासाठी मराठी' च्या निमित्ताने केलेले भाषाचिंदन |
साद-प्रतिसाद |
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
३४ |
|
दॅटस् अ गुड बॉय! |
|
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
३८ |
गुंडी, नीलिमा |
भाषाविषयक लेखनाची सूची : इ. स. २... |
वाङ्मय-सूची |
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
३९ |
|
जन्मभाषा, पूर्वज आणि आपण |
|
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
४३ |
वाघमारे, जनार्दन |
शिक्षणावरचे मराठीतले पहिले स्वतंत्र विचाराचे पुस्तक |
पुस्तकपरीक्षण : १ |
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
४४ |
शिंदे, ये. कृ. |
|
पुस्तकपरीक्षण : २ |
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
५० |
बेलरकर, सुमन |
भाषा - कागदावरून जिभेवर |
भाषानिरीक्षण |
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
५६ |
अवचट,, अनिल |
चित्र |
|
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
|
|
अनुक्रम |
|
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
|
|
|
|
१९ |
१ |
हिवाळा |
२००१ |
|
गुंडी, नीलिमा |
भाषिक क्षमतांची निगराणी |
संपादकीय |
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
१ |
|
|
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
३ |
आचार्य, माधव ना. |
'युगें अठ्ठावीस....' |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
४ |
धडफळे, मो. गो. |
नीर-क्षीर-अविवेक |
जाता जाता |
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
१० |
|
|
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
१४ |
परांजपे, सुचेता |
आजचा 'सकाळ' वाचलात का? |
भाषानिरीक्षण |
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
१५ |
हळबे, मालती |
मराठीचे अध्यापन व लेखन |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
२० |
भागवत, गीता |
महाकठीण महाकर्म : मुद्रित शोधन |
दखलपात्र |
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
२६ |
विमल, श्याम |
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
३२ |
कुलकर्णी, गो. म. |
महाराष्ट्र व कर्नाटक : भाषा आणि संस्कृती |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
३३ |
|
न संपणारा खजिना |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
४९ |
बेलवलकर, सुमन |
आपलीच भाषा आणि... |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
५० |
जोशी, र. कृ. |
एक कागद घ्यावा |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
५२ |
गुंडी, नीलिमा |
महाबॅंक भाषाविषयक लेखन पारितोषिक-२..१ |
निवेदन |
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
५३ |
पदकी, सरिता |
संवेदनशील मनाने घेतलेला भाषानुभव |
पुस्तकपरीक्षण |
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
५४ |
|
परिषद वार्ता |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
५६ |
अवचट,, अनिल |
चित्र |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
|
|
अनुक्रम |
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
|
|
|
|
१९ |
२ |
उन्हाळा |
२००१ |
|
शहा, मृणालिनी |
मौनं सर्वार्थ साधनम् |
संपादकीय |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
१ |
धामणस्कर, द. भा. |
मुखपृष्ठाच्या चित्रावरून आठवणाऱ्या ओळी |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
३ |
गुंडी, नीलिमा |
'अपूर्वाई' मधील भाषेचे संवेदन |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
४ |
नारळीकर, जयंत |
विज्ञान, तंत्रज्ञान आणि मराठी भाषा |
दखलपात्र |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
९ |
देशपांडे, कुसुमावती |
मराठीचा अभ्यासक्रम सुसूत्र व्हावा... |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
१४ |
जोशी, श्री. बा. |
भारतीय भाषांचा विलायती घरोबा |
पुनर्भेट |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
१५ |
जोशी, र. कृ. |
भारतीय माणसाच्या शोधात भारतीय भाषा |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
३० |
बेलवलकर, सुमन |
न ऋण स्वभाषेचे फिटे |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
३२ |
|
"माझ्या साहित्यप्रेमाचा उगमही... |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
३३ |
शिंदे, राजशेखर |
राज्य मराठी विकास संस्थच्या दोन सूची |
पुस्तक परिचय |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
३४ |
कुलकर्णी, शिरीन |
मऱ्हाटी संस्कृतीचा (संस्कृतीच्या?) ऱ्हासाचे पहिले पाऊल |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
३६ |
काळे, कल्याण |
सावधपणे भाषा वापरणाऱ्यांसाठी उपयुक्त कोश |
पुस्तकपरीक्षण |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
४२ |
देव, विजया |
कालिदास गुप्त यांचे भाषाप्रेम |
भाषा-वार्ता |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
५१ |
देव, विजया |
मुंबईहून प्रसिद्ध होणाऱ्या... |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
५२ |
रायकर, यशवंत |
अशोकाच्या शिलालेखांच्या भाषा |
साद-प्रतिसाद - १ |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
५३ |
देशपांडे, कुसुमावती |
मराठीचा अभ्यास आणि... |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
५४ |
पाध्ये, गौ. वा. |
मराठीतील काही फारसी शब्दांचा संस्कृतशी संबंध : एक प्रतिक्रिया |
साद-प्रतिसाद - २ |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
५५ |
मेहेंदळे, म. अ. |
श्री. गौ. वा. पाध्ये यांच्या पत्रावर प्रतिक्रिया |
|
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
५६ |
|
|
मुखपृष्ठ |
१९ |
३ |
पावसाळा |
२००१ |
|
सोमण, अंजली |
भाषिक गोंधळ |
संपादकीय |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
१ |
|
|
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
३ |
केळकर, अशोक रा. |
ज्ञानभाषा मराठी : गुणवत्ता आणि विस्तार |
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
४ |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
पुराणातली 'वांगी?' |
शब्दायन |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
८ |
बोरकर, हरिश्चंद्र |
भाट व त्याची लिपी |
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
९ |
|
सूचना फलक |
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
१२ |
कर्वे, स्वाती |
वृत्तपत्रीय भाषेची संकल्पना आणि डॉ. परुळेकर |
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
१३ |
गडकरी, मृणालिनी |
जातीचे शब्द - शब्दांची जात |
ज्याची त्याची प्रचीती |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
१९ |
धडफळे, मो. गो. |
'दहा न् आठ, अठरा' |
जाता जाता |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
२३ |
राईलकर, मनोहर |
हिंरादी, इंग्राठी वगैरे |
भाषा निरीक्षण |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
२९ |
|
भाषा अधिकार समिती |
भाषा-वार्ता |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
३४ |
गुंडी, नीलिमा |
काव्यसमीक्षेची परिभाषा : काही निरीक्षणे |
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
३५ |
शेख, यास्मिन |
मराठीतील पहिला जोडणी-कोश : 'मराठी लेखन कोश' |
पुस्तकपरीक्षण |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
४१ |
|
|
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
५६ |
|
|
परिषद-वार्ता |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
५७ |
गुंडी, नीलिमा |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना फलक |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
५९ |
|
वर्ष १९, २..१ ची लेखन सूची |
पत्रिकासूची |
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
६० |
अवचट,, अनिल |
|
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
|
|
अनुक्रम |
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
|
|
|
|
१९ |
४ |
दिवाळी |
२००१ |
|
परांजपे, प्रभाकर नारायण |
भाषेचे अध्यात्म |
संपादकीय |
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
१ |
|
|
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
२ |
रसाळ, सुधीर |
कानडा विठ्ठलु |
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
३ |
मोहिते, शरदिनी |
उच्चार गुल्ला! |
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
१२ |
आपटे, नारायण शंकर |
देवनागरी अक्षरे - पुनर्विचार, पुनर्रचना |
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
१४ |
काळे, कल्याण |
श्रीकेक्षींची भाषाहितैकदृष्टी |
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
१८ |
पटवर्धन, वा. ब. |
|
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
२५ |
चौधरी, विजया |
"सकाळ" वृत्तपत्राची नीटस ओळख |
पुस्तक परिचय |
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
२६ |
|
एका ज्ञानतपस्वीने घेतलेला निरोप |
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
२७ |
|
मुद्रण दोषाची दुरुस्ती |
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
२९ |
मेहेंदळे, म. अ. |
'भाषा आणि जीवन'च्या अंकातील काही लेखांविषयी |
साद-प्रतिसाद |
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
३० |
केळकर, अशोक रा. |
भारतीय मामा : काही दुरुस्ती, काही पुस्ती |
साद आणि प्रतिसाद |
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
४५ |
|
'दहा न् आठ, अठरा' या लेखावरील प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद |
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
४५ |
|
|
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
५५ |
झा, अपर्णा |
स्त्रीणामशिक्षितपटुत्वम् |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
५६ |
|
अनुक्रम |
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
|
|
श्लोक - भर्तृहरि, नीतिशतकम्, विद्वत्पद्धति |
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
|
|
|
|
२० |
१ |
हिवाळा |
२००२ |
|
मुंडले, आशा |
मराठी भाषेवरचे माझे प्रेम |
संपादकीय |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
१ |
कुलकर्णी, द. भि. |
कवितेचा घरगंध |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
४ |
गोडबोले, मंगला |
भाषेची भूक |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
६ |
देवरे, सुधीर रा. |
अहिराणीचे भवितव्य |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
७ |
जोशी, अशोक |
भाषा आणि भाषाभ्यास : ज्ञानेंद्रियांची क्रमवारी |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
१० |
|
मुखपृष्ठावरील श्लोकाचा अर्थ |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
१३ |
मोहिते, शरदिनी |
आपण मराठी का बोलतो? |
जाता जाता |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
१४ |
|
|
भाषा-वार्ता |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
१५ |
गर्दे, पु. कृ. |
संदर्भसाहित्याची मोहिनी |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
१६ |
|
विचार आणि शब्द |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
१७ |
पटेल, रझिया |
मराठीला पर्याय नाही! |
दखलपात्र |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
१८ |
धडफळे, मो. गो. |
प्रतिक्रियांविषयीची प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
२२ |
राईलकर, मनोहर |
एक साद |
साद आणि प्रतिसाद |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
२६ |
देव, विजया |
आहे उत्तर…? |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
३४ |
जोशी, यशवंत गणेश |
अध्यात्माची विशेष परिभाषा व व्यवहार - काही निरीक्षणे |
साद आणि प्रतिसाद |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
३५ |
देव, विजया |
आर्थिक दारिद्य्र पण भाषिक समृद्धी. |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
३६ |
टिळक, विद्यागौरी |
विद्यापीठ प्रशासनाच्या मराठीकरणास साह्यभूत होणारे पुस्तक |
पुस्तकपरीक्षण |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
३७ |
|
किती हा दुराग्रह! |
कानी पडलेला संवाद |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
४० |
शिंदे, राजशेखर |
भाषाविषयक लेखनाची सूची : इ. स. २..१ |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
४१ |
अडोणी, दा. ल. |
' विचक्षणांच वैलक्षण्य' की द्दष्टान्तातील दैवदुर्विलास! |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
४५ |
गुंडी, नीलिमा |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना फलक |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
४६ |
देवरे, सुधीर |
अहिराणी - मराठी कविता |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
४७ |
|
महाराष्ट्र राज्य साहित्य आणि संस्कृती मंडळ, मुंबई नवी प्रकाशने |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
४९ |
संपादक |
|
सूचना फलक |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
५० |
|
इंग्रजीच्या ओझ्यामुळे इतर जागतिक भाषांकडे दुर्लक्ष |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
५१ |
|
अमेरिका व महाराष्ट्र यातील 'मराठी विद्यापीठाचा सेतू' |
भाषा-वार्ता |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
५२ |
|
विश्वग्रंथजत्रा |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
५३ |
|
(१) २..१ चा महाबॅंक पुरस्कार वितरण समारंभ (२) डॉ. केळकरांना 'पद्मश्री' प्रदान (३) श्री. के. क्षीरसागर जन्मशताब्दी - चर्चासत्र |
परिषद-वार्ता |
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
५४ |
|
अनुक्रम |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
|
|
श्लोक - भर्तृहरि, नीतिशतकम्, विद्वत्पद्धति |
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
|
|
|
|
२० |
२ |
उन्हाळा |
२००२ |
|
देव, विजया |
मराठीची व्यवहार्य मागणी |
संपादकीय |
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
१ |
आचार्य, माधव ना. |
चाफा आणि भुंगा |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
५ |
गुंडी, नीलिमा |
महाबॅंक भाषाविषयक लेखन पारितोषिक-२..२ |
निवेदन |
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
१२ |
वैद्य, शंकर |
मराठीच ममत्व कशासाठी? |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
१३ |
|
|
भाषा-वार्ता |
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
२५ |
कुलकर्णी, निर्मला |
यम आणि नियमन |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
२६ |
क्षीरे, पुणे |
गिळेल तो पचवील काय? |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
३१ |
पळशीकर, सुहास |
मराठीचे राजकरण का फसते? |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
३२ |
देव, विजया |
|
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
४७ |
टिळक, विद्यागौरी |
'भाषिक नीती आणि व्यवहार' : चर्चासत्राचा वृत्तांत |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
४८ |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
'भाषिक नीती आणि व्यवहार' : चर्चासत्राचा वृत्तांत |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
४९ |
देव, विजया |
|
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
५१ |
|
सूचना फलक |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
५१ |
धडफळे, मो. गो. |
प्रदक्षिणा |
शब्दायन |
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
५२ |
अकलूजकर, विद्युल्लेखा |
व्याकरण |
वसा आंतरभारतीचा |
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
५४ |
राईलकर, मनोहर |
अरेबिक संख्याचिह्ने |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
५५ |
|
अनुक्रम |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
|
|
भाषाविषयक संस्कॉच सुभाषित |
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
|
|
|
|
२० |
३ |
पावसाळा |
२००२ |
|
पुंडे, द. दि. |
सूनबाईचं भाषाशिक्षण |
संपादकीय |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
१ |
गुंडी, नीलिमा |
भाषा आणि विनिमय : एक काव्यानुभव |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
४ |
|
परिषद वार्ता |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
७ |
खैरे, विश्वनाथ |
मानवी विकास आणि भाषा |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
८ |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
'मराठी'ची अस्मिता (?) |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
१७ |
काळे, कल्याण |
एक संशोधन - समर्पित जीवनाचं विहंग दर्शन |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
१८ |
दास, गुरुचरण |
अटळ इंग्रजी |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
२६ |
पगार, एकनाथ |
शैलीमीमांसा : भाषा व संस्कृतीचे सौंदर्यविज्ञान |
पुस्तकपरीक्षण |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
२९ |
गावडे, प्र. ल. |
'अंक' लिपीत मराठी? |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
३६ |
मोहिते, शरदिनी |
बुवा, आयडिया आणि एक्स्क्यूज |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
३७ |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
इंग्रजीचे अजब नमुने! |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
३९ |
क्षीरसागर, शकुंतला |
'ऋतुचक्र' मधील भाषाशैलीचे वेगळेपण |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
४० |
राईलकर, मनोहर |
स्त्रियांची पुंलिंगी व नपुंसकलिंगी नावे |
जाता जाता |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
४४ |
|
शब्दशिल्पी |
वसा आंतरभारतीचा |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
४६ |
कुलकर्णी, द. भि. |
शुद्धलेखनाचे मानसशास्त्र |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
४७ |
मेहेंदळे, म. अ. |
'कानडा विठ्ठलु' मधील 'कानडा' |
साद आणि प्रतिसाद |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
४९ |
मेहेंदळे, म. अ. |
'मृच्छकटिक' नाटकातील 'कल्यवर्त' आणि 'अर्थकल्यवर्त' |
साद आणि प्रतिसाद |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
५२ |
आपटे, नारायण शंकर |
'कर्नाटकु' नव्हे; तर 'कर-नाटकु' |
साद आणि प्रतिसाद |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
५४ |
|
सूचना फलक |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
५६ |
|
सूचना फलक |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
५७ |
देव, विजया |
मूक-बधिरांना दिलासा |
भाषा-वार्ता |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
५८ |
|
कोशवाङ्मयात पुणेकर महत्त्वाचे! |
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
५९ |
|
भाषा आणि जीवन : वर्ष २., २..२ ची सूची |
पत्रिकासूची |
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
६० |
दासबोध, दशक ६, समास १. |
|
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
|
|
|
|
२० |
४ |
दिवाळी |
२००२ |
|
गुंडी, नीलिमा |
काळ आणि भाषा: एक चकवा |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
१ |
|
परिषदवार्ता |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
३ |
कुळकर्णी, मल्हार |
संस्कृतमधील भावे प्रयोग - एक निरीक्षण |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
४ |
गोगटे, म. ना. |
विज्ञानशिक्षणतज्ज्ञ: प्रा. वि. गो. कुलकर्णी |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
९ |
|
कानी पडलेला संवाद |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
१८ |
प्रधान, ग. प्र. |
माहेरची भाषा |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
१९ |
|
सूचना फलक |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
२० |
इनामदार, हे. वि. |
मराठीचे 'त्रिकालदर्शन' |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
२१ |
जोशी, माधुरी |
संस्कृतीचे प्रतीक |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
३० |
बेलवलकर, सुमन |
शाहजी महाराजकृत 'लक्ष्य लक्षण पदे' |
पुस्तक परिचय |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
३१ |
रायकर, सीताराम |
सूनबाईच्या भाषाशिक्षणाचा एक वेगळा संदर्भ |
साद आणि प्रतिसाद |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
३६ |
सानिया, |
भाषा विरुद्ध भाषा |
दखलपात्र |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
३७ |
पुंडे, द. दि. |
कानडा' व 'कर्णाटकु' या शब्दांचे अर्थ |
साद आणि प्रतिसाद |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
४२ |
क्षीरसागर, शकुंतला |
ऋतुचक्रा'तील मानवी जीवनचक्र |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
४३ |
जोशी, माधुरी |
खरा न्याय |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
४८ |
केळकर, अशोक रा. |
सबमिशन आणि समर्पण |
शंका आणि समाधान |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
४९ |
आपटे, ना. शं. |
देवनागरी अक्षरे - जोडाक्षरे आणि संधिनियम |
साद आणि प्रतिसाद |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
५० |
|
परिषदवार्ता - अभिनंदन |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
५२ |
|
बोलका शब्दकोश' |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
५२ |
|
परिषदवार्ता : महाबँक भाषाविषयक लेखन पुरस्कार 2002 |
परिषद-वार्ता |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
५३ |
राईलकर, मनोहर |
उपजाती |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
५४ |
|
महाराष्ट्र राज्य साहित्य आणि संस्कृती मंडळ, मुंबई - मंडळाची नवीन प्रकाशने |
|
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
५६ |
अवचट,, अनिल |
|
मुखपृष्ठ |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
|
|
गोड बोला मराठीत |
मलपृष्ठ ४ |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
|
|
|
मलपृष्ठ २ |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
|
|
|
मलपृष्ठ ३ |
२१ |
१ |
हिवाळा |
२००३ |
|
शहा, मृणालिनी |
यथा भाषकस्तथा भाषा |
संपादकीय |
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
१ |
केळकर, अशोक रा. |
मराठीला वाचवायचं? आणि ते का बरं? |
|
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
३ |
|
कॉम्प्युपद्य |
भाषा-वार्ता |
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
१४ |
आचार्य, माधव ना. |
मत्स्यभेदाचा चकवा |
|
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
१५ |
गुंडी, नीलिमा |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना फलक |
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
२४ |
देवरे, सुधीर रा. |
"मी आणि अहिराणी" भाषिक अंगाने परिचय |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
२५ |
रोशन, |
माझा जपानी अभ्यास |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
४१ |
|
शंभर वर्षांपूर्वीची उर्दूतील भगवद्गीता |
|
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
४६ |
कुलकर्णी, निर्मला |
आरती विधी - उत्पत्ती आणि व्युत्पत्ती |
|
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
४७ |
केळकर, अशोक रा. |
अभिहसावे की अभिरडावे? |
|
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
४९ |
|
भाषावार्ता |
|
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
४९ |
सोनवणे, राजकुँवर |
शुद्धलेखन : अनुभव आणि प्रयत्न |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
५० |
शिंदे, राजशेखर |
भाषाविषयक लेखनसूची: इ.स. 2002 |
|
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
५२ |
|
परिषदवार्ता |
|
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
५६ |
अवचट,, अनिल |
|
मुखपृष्ठ |
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
|
|
अनुक्रम |
मलपृष्ठ २ |
२१ |
२ |
उन्हाळा |
२००३ |
|
देव, विजया |
एका संकेत-व्यवस्थेचा अनुभव |
संपादकीय |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
१ |
|
सूचनाफलक |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
४ |
डहाके, वसंत आबाजी |
कवितेची भाषा आणि चित्राची भाषा |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
५ |
|
महाबँक भाषाविषयक लेखन पारितोषिक 2003 : |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
१५ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
इंग्रजीतील "Kn" ने सुरू होणाऱ्या शब्दांविषयी |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
१६ |
|
भाषांचे आदानप्रदान |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
२५ |
वडेर, प्रल्हाद |
ज्येष्ठ भाषाशास्त्रज्ञ डॉ. गं. ब. ग्रामोपाध्ये |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
२६ |
धनपलवार, माणिक |
महाराष्ट्र-प्रयोग-चंद्रिका: एक अवलोकन |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
३० |
|
भाषावार्ता |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
४० |
|
श्रद्धांजली |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
४० |
संगोराम, श्रीरंग |
कानडा विठ्ठलू आणि दरबारी कानडा |
साद आणि प्रतिसाद |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
४१ |
राईलकर, मनोहर |
एक प्रतिसाद |
साद आणि प्रतिसाद |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
५० |
|
परिषदवार्ता |
|
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
५४ |
|
विशेष साधारण सभेचे इतिवृत्त |
परिषद-वार्ता |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
५५ |
|
भाषा-तंत्रज्ञानातील संशोधन |
भाषा-वार्ता |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
५६ |
अवचट,, अनिल |
|
मुखपृष्ठ |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
|
|
अनुक्रम |
मलपृष्ठ २ |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
|
|
|
मलपृष्ठ ३ |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
|
|
|
मलपृष्ठ ४ |
२१ |
३ |
पावसाळा |
२००३ |
|
शहा, मृणालिनी |
मूकं करोति वाचालम् । पंगुं लंघयते गिरिम् |
संपादकीय |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
१ |
धडफळे, मो. गो. |
"अक्षर- निधानाचे अमृत-कुम्भ": विद्यावाचस्पती अमृत माधव घाटगे |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
३ |
बर्नसन, मॅक्सीन |
इंग्रजीची खिडकी, मराठीचे डोळे |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
११ |
|
भाषावार्ता |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
१९ |
दुनाखे, अंशुमती अ. |
समर्थ रामदासांच्या काही ओळींचे भाषांतर करताना |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
२० |
|
सूचना फलक |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
२६ |
परांजपे, मीनल |
कौटिलियम् अर्थशास्त्र : भाषिकदृष्ट्या अवलोकन |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
२७ |
|
सूचना फलक |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
३६ |
बोरकर, हरिश्चंद्र |
बोलीच्या अनुषंगाने कवीचा स्थाननिश्चय |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
३७ |
|
शब्द आणि वाक्य |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
४३ |
रोशन, |
भाषेची सभ्यता |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
४४ |
यार्दी, मानसी अ. |
शिळे' आणि 'उष्टे' |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
४६ |
जोशी, सुनीता ज. |
आदिवासींची भाषा आणि 'ढोल' |
पुस्तकपरीक्षण |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
४७ |
सच्चिदानंदन, कुयंपरंबत |
भाषांतराबाबत पुनश्चिंतन |
दखलपात्र |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
५२ |
गोडबोले, अनिल |
"मुलांचं वाचन ही भविष्यकाळासाठी गुंतवणूकच" |
|
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
५७ |
|
इतिवृत्त |
परिषद-वार्ता |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
५८ |
केळकर, अशोक रा. |
इ-डाक का नाही बरे ? चे समाधान |
शंका आणि समाधान |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
६० |
नाडकर्णी, सुरेश |
इ-डाक का नाही बरे ? |
शंका आणि समाधान |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
६० |
|
भाषा आणि जीवन : वर्ष 21, 2003ची सूची |
पत्रिका सूची |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
६१ |
अवचट,, अनिल |
|
मुखपृष्ठ |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
|
|
अनुक्रम |
मलपृष्ठ २ |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
|
|
मराठी वाचा मराठी वाचवा |
मलपृष्ठ ४ |
२१ |
४ |
दिवाळी |
२००३ |
|
गुंडी, नीलिमा |
नवतरुणांची भाषा |
संपादकीय |
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
१ |
गुंडी, नीलिमा |
सूचना फलक |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
३ |
|
भाषावार्ता |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
३ |
परळीकर, स. म. |
भाषाविद विश्वनाथराव नरवणे |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
४ |
|
सूचना फलक |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
११ |
इंगोले, प्रतिमा |
विदर्भ बोली |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
१२ |
|
कविमनाची भाषा |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
१५ |
लेले, वामन केशव |
भारतीय साहित्य-विचारात वामनाचे योगदान |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
१६ |
संपादक |
सूचना फलक |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
४८ |
|
निवेदन |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
४८ |
|
परिषदवार्ता |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
४८ |
गोविलकर, लीला |
मराठी व्याकरणाच्या अभ्यासाची दिशा |
पुस्तकपरीक्षण |
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
४९ |
डहाके, वसंत आबाजी |
चित्र |
|
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
|
डहाके, वसंत आबाजी |
|
मुखपृष्ठ |
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
|
|
अनुक्रम |
मलपृष्ठ २ |
२२ |
१ |
हिवाळा |
२००४ |
|
परांजपे, प्र. ना. |
पाहिजे : मराठीच्या विकासाचा मार्गदर्शक नकाशा |
संपादकीय |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
१ |
बागड, प्रशांत |
त्रिधा राधा' : एक स्त्रीवादी वाचन |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
३ |
|
विशेषणांचा बुजबुजाट |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
१६ |
गर्दे, पु. कृ. |
विश्वसूची |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
१७ |
|
महाबॅंक पुरस्कार वितरण समारंभ |
परिषद-वार्ता |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
२० |
गोसावी, कुमुद |
भारूडांतील भाषावैभव |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
२१ |
संगोराम, श्रीरंग |
मराठीतील 'अतिरिक्त' पण 'अनुबोधक' सर्वनामे : 'हा - ही - हे' |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
२४ |
देशपांडे, गौरी |
तुमचं नाव काय? |
पुनर्भेट |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
२८ |
|
सडासंमार्जन' नव्हे 'षड्सम्मार्जन' |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
३१ |
धडफळे, मो. गो. |
कन्नड-मराठी संबंधांची हृद्य गवेषणा |
पुस्तकपरीक्षण |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
३२ |
|
भारतीय भाषांतून संगणक प्रणाली |
भाषा-वार्ता |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
३४ |
मेहेंदळे, म अ. |
बोलीच्या अनुषंगाने कवीचा स्थाननिश्चय |
साद आणि प्रतिसाद |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
३५ |
जोशी, श्रीपाद भालचंद्र |
हरिश्चंद्र बोरकर यांच्या लेखावरील प्रतिक्रिया |
साद आणि प्रतिसाद |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
३८ |
|
भाषावार्ता |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
३९ |
|
मराठी अभ्यास परिषदेच्या कार्यकारी मंडळाची पंचवार्षिक निवडणूक |
परिषद-वार्ता |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
४० |
सहस्रबुद्धे, सुप्रिया |
मराठी विकासाच्या दिशा : परिसंवाद वृत्तांत |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
४२ |
मोहिते, शरदिनी |
चकित करणारी मुलांची भाषा |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
४४ |
शिंदे, राजशेखर |
भाषाविषयक लेखनाची सूची : 2003 |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
४५ |
|
दैनिकांची विक्री : वृत्तपत्रांचे वाचक |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
४६ |
लेले, वा. के. |
भारतीय साहित्य-विचारात वामनाचे योगदान : एक खुलासा |
सूचना फलक |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
४७ |
|
शिक्षणाची निरर्थकता |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
४८ |
कदम, महेंद्र सुदाम |
बालकांचे भाषा संपादन : काही निरीक्षणे |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
४९ |
|
सरकारची व समाजाची जबाबदारी |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
५१ |
कुलकर्णी, निर्मला |
उरणे' या क्रियापदाची व्युत्पत्ती |
शंका-समाधान |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
५२ |
|
देशातील निम्म्या शाळकरी मुलांना वाचता येत नाही! |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
५३ |
महाजन, लता |
अहिराणी'च्या गमती-जमती |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
५४ |
संपादक |
|
सूचना फलक |
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
५६ |
डहाके, वसंत आबाजी |
चित्र |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
|
डहाके, वसंत आबाजी |
चित्र |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
|
|
अनुक्रम |
|
२२ |
२ |
उन्हाळा |
२००४ |
|
शहा, मृणालिनी |
लोकोक्ती आणि पाऊस |
संपादकीय |
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
१ |
बोकील, मिलिंद |
मराठी विकासाच्या दिशा |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
४ |
धनपलवार, माणिक |
दोन शब्द : थोडा अर्थविचार |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
१३ |
|
भाषावार्ता इ. |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
१७ |
इनामदार, हे. वि. |
हरिभाऊ आपटे यांचा साहित्यविचार आणि भाषाविचार |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
१८ |
बेलवलकर, सुमन |
मराठी भाषा शिकवणारा ग्रंथ |
पुस्तकपरीक्षण |
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
२४ |
देव, विजया |
टाळ्यांची बोलकी भाषा |
ज्याची त्याची प्रचीती |
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
३२ |
क्षीरसागर, शकुंतला |
कानडा विठ्ठलू' या चर्चेचे संदर्भ |
साद आणि प्रतिसाद |
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
३४ |
केतकर, गीता |
संस्कृत भाषेतील 'संख्यावाचके' |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
३५ |
|
दहावी-बारावीमध्ये मराठीत नापास होणाऱ्यांचे वाढते प्रमाण इ. |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
३७ |
फडणीस, शि. द. |
व्यंगचित्राकरवी विरेचन |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
३८ |
देहाडराय, वृषाली |
गमती भाषेच्या |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
४८ |
सावंत, जयप्रकाश |
भाषा हेच जीवन |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
५० |
शिंदे, राजशेखर |
मराठीपुढील आजची आव्हाने : कार्यक्रमवृत्तांत |
परिषद-वार्ता |
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
५१ |
डहाके, वसंत आबाजी |
चित्र |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
|
डहाके, वसंत आबाजी |
चित्र |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
|
|
अनुक्रम |
|
२२ |
३ |
पावसाळा |
२००४ |
|
|
मराठीच्या विकास वाटा |
संपादकीय |
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
१ |
सोहोनी, दिवाकर पुरुषोत्तम |
शुद्धलेखनांतील अराजक : परिणाम आणि उपाय |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
२ |
भाटे, सरोजा |
नमः शान्ताय तेजसे । |
आदरांजली |
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
३ |
गानू, अनुराधा |
समस्या की संधी ? |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
२३ |
भागवत, गीता |
क्रियापद - शब्दांचा राजा! |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
२४ |
सोहोनी, दिवाकर पुरुषोत्तम |
सामासिक शब्द |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
३० |
पगार, एकनाथ |
महाविद्यालयाच्या कार्यालयातील भाषा |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
३१ |
कोत्तापल्ले, नागनाथ |
मातृभाषा आणि ज्ञाननिर्मिती |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
४१ |
अर्जुनवाडकर, कृष्ण श्री. |
महाभारतात मराठी |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
४२ |
सोहोनी, दिवाकर पुरुषोत्तम |
प्रमाणभाषा आणि बोलीभाषा |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
४५ |
कोल्हटकर, माधुरी |
ही कोण भवानी? |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
४६ |
दवणे, प्रवीण |
प्रेम आणि प्रीती |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
४८ |
पुंडे, द. दि. |
कवी विनायकांची शब्दशक्ती |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
४९ |
देव, विजया |
मराठी आणि मार्गारेट |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
५१ |
पुंडलीक, शैलेश सदाशिव |
देव' आणि 'ड़ेव्हिल' |
प्रतिक्रिया - १ |
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
५३ |
परब, प्रकाश |
मराठी व्याकरणाच्या अभ्यासाची दिशा |
प्रतिक्रया - २ |
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
५५ |
चौधरी, विजया |
आठवी सर्वसाधारण सभा |
परिषद-वार्ता |
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
५७ |
केतकर, कुमार |
लोकांचे शतक |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
५९ |
लोखंडे, अभिषेक दिलीप |
भाषा आणि जीवन : वर्ष २२:२..४ची लेखनसूची |
पत्रिका सूची |
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
६० |
केळकर, अशोक रा. |
खऱ्या शिष्याचे खरे प्रत्युत्तर |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
६४ |
डहाके, वसंत आबाजी |
चित्र |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
|
डहाके, वसंत आबाजी |
चित्र |
|
२२ |
४ |
दिवाळी |
२००४ |
|
परांजपे, प्र. ना. |
मराठीच्या विकासाच्या वाटा: २ विद्यापीठांत भाषांतर-विभाग |
संपादकीय |
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
१ |
|
मृत भाषेला संजीवन |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
२ |
शहाणे, अशोक |
मराठी संगणकीय चलन-प्रणालीची पायाभरणी |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
३ |
किंबहुने, रविंद्र |
भिजकी वही |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
१० |
बुरटे, द. पां. |
नवे पारिभाषिक शब्द |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
११ |
|
बंगाली चालणार नाही! |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
१५ |
आचार्य, मा. ना. |
गणिका आणि राउवा |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
१६ |
काळसेकर, सतीश |
कलांमधून श्रीमंती |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
२२ |
भालसिंग, वैशाली श्रीकृष्ण |
चक्रधरांची लोकशिक्षणाची शैली |
प्रास्ताविक |
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
२३ |
चपळगावकर, नरेंद्र |
|
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
३२ |
देवरे, सुधीर रा. |
चाळ' आणि मूळाक्षरे |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
३३ |
संत, इंदिरा |
एकटी |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
३६ |
क्षीरसागर, शकुंतला |
इंदिरा संत यांची 'एकटी' |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
३७ |
चपळगावकर, नरेंद्र |
|
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
३९ |
जोशी, श्रीपाद भालचंद्र |
सिनेमाची भाषा |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
४० |
चपळगावकर, नरेंद्र |
|
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
४५ |
महाले, कैलास |
कोकणा समाजाचे भाषिक वेगळेपण |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
४६ |
चपळगावकर, नरेंद्र |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
४७ |
पिटकर, उर्मिला |
"मित्र मराठी शाळांचे" |
उपक्रम |
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
४८ |
चपळगावकर, नरेंद्र |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
५० |
देव, सदाशिव |
"यंत्रालयाचा ज्ञानकोश" |
पुस्तकपरीक्षण |
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
५१ |
दवणे, प्रवीण |
नवी शब्दकोश |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
५३ |
रथ, नीळकंठ |
ओडिशा राज्य व ओडिया भाषा |
प्रतिसाद : १ |
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
५४ |
दीक्षित, प्रशांत |
दैना मराठी भाषेची की माणसांची |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
५५ |
खैरे, विश्वनाथ |
महाभारत आणि लोकभाषा |
प्रतिसाद : २ |
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
५६ |
चपळगावकर, नरेंद्र |
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|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
५९ |
|
परिषद-वार्ता |
परिषद-वार्ता |
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
६० |
चपळगावकर, नरेंद्र |
|
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
६१ |
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भाषाविषयक लेखनाची सूची : 200४ |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
६२ |
चपळगावकर, नरेंद्र |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
६३ |
|
महाराष्ट्र राज्य साहित्य आणि संस्कृती मंडळाची प्रकाशने |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
६४ |
सायनेकर, विनय |
चित्र |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
|
सायनेकर, विनय |
चित्र |
|
२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
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अनुक्रम |
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२३ |
१ |
हिवाळा |
२००५ |
|
परांजपे, प्र. ना. |
मराठीच्या विकासाच्या दिशा : ३ भाषिक पाहाणी |
संपादकीय |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
१ |
गुंडी, नीलिमा |
पत्रिकेबद्दल वार्षिक निवेदन |
सूचना फलक |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
३ |
वाग्वैजयंती |
पहिले पाऊल |
|
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
४ |
|
सूचना - फलक |
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२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
५ |
ब्राईट, विल्यम, रामानुजन, ए. के. |
सामाजिक भाषाभेद आणि भाषिक परिवर्तन |
|
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
६ |
मुंडले, आशा |
|
|
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
२० |
टिकेकर, अरविंद |
कोश वाङ्मय आणि ज्ञानभाषा मराठी |
|
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
२१ |
चॅटर्जी, पार्थ |
|
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२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
२७ |
बर्वे, उज्ज्वला |
चुकते कोठे? |
|
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
२८ |
धोंडगे, दिलीप |
विज्ञानलेखनाच्या शैलीसंबंधी |
|
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
३५ |
|
एक परिषद : दोघांना अभिवादन |
भाषाभ्यासवार्ता |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
४४ |
|
उंदरांचे भाषाज्ञान |
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२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
४८ |
टिळक, विद्यागौरी |
अहिराणी बोलीचा भाषावैज्ञानिक अभ्यास |
पुस्तक-परीक्षण |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
४९ |
तलगेरी, प्रमोद |
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|
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
५१ |
पाटणकर, जयश्री |
उपयुक्त संकलन |
पुस्तक-परीक्षण |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
५२ |
केळकर, अशोक रा. |
ज्याची त्याची अर्थप्रतीती |
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२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
५४ |
पाटणकर, जयश्री |
शिक्षकांसाठी मराठी व्याकरण |
पुस्तक-परीक्षण |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
५५ |
भेंडे, सुभाष |
ऋषितुल्य संशोधक |
पुस्तक-परीक्षण |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
५७ |
देशमुख, भगवंत |
चुकूर : थोडा अर्थ विचार |
प्रतिसाद : १ |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
५९ |
सामंत, सत्त्वशीला |
मराठीतील समास |
प्रतिसाद : २ |
२३ |
२ |
उन्हाळा |
२००५ |
६० |
खैरे, विश्वनाथ |
महाभारत, रामायण आणि लोककथा |
प्रतिसाद : ३ |
२३ |